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डॉक्टर होमी भाभा जी का संझिप्त परिचय
भारत का नाम संसार के परमाणु ऊर्जा मानचित्र पर अंकित कराने में डॉ. होमी भाभा की निर्णायक भूमिका रही। नाभिकीय क्षेत्र में भारत की अद्भुत प्रगति के शिल्पी डा. होमी भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुम्बई के एक धनी पारसी परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता दोनों ही भारत के बड़े उद्योगपति टाटा घराने से संबंधित थे। इनके पिता इन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे परन्तु इनकी रुचि भौतिक विज्ञान में थी। फिर भी इन्होंने अपने पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए 1930 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी से इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की। इसके बाद वे अपने प्रिय विषय भौतिक विज्ञान में शोध करने लगे। #डॉक्टर होमी भाभा
डॉ. होमी भाभा ने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय ऊर्जा पर अनुसंधान आरम्भ किया। देश आजाद हुआ तो उन्होंने दुनिया भर में काम कर रहे भारतीय वैज्ञानिकों से अपील की कि वे भारत लौट आएं। उनकी अपील पर अनेक वैज्ञानिक विदेशों के आकर्षक वेतन और सुविधापूर्ण नौकरियाँ छोड़कर भारत लौट आए। डॉ. होमी भाभा ने नाभिकीय ऊर्जा की असीम क्षमता एवं उसकी विद्युत उत्पादन व सहायक क्षेत्रों में सफल प्रयोग की संभावना को पहचाना। उनके मन में शक्तिशाली भारत का सुन्दर सपना था। उन्होंने अनेक अवसरों पर कहा था कि कुछ ही वर्षों में जब परमाणु ऊर्जा का विद्युत उत्पादन के लिये सफलतापूर्वक उपयोग किया जायेगा तब भारत को अपनी ऊर्जा जरुरतों के लिये विदेशों की ओर नहीं देखना पड़ेगा। डा. भाभा के नेतृत्व में 1948 में अणु शक्ति आयोग का गठन किया गया। उनके एटॉमिक एनर्जी के विकास के लिये समर्पित सतत् प्रयासों का ही परिणाम था कि भारत में सन् 1956 में ट्राम्बे में एशिया का पहला ऍटामिक रिएक्टर स्थापित किया गया।#डॉक्टर होमी भाभा
डॉ. होमी भाभा भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम की परिकल्पना तथा योजना केकेन्द्र बिन्दु थे। डा. विक्रम साराभाई की देखरेख में भारतीय राष्ट्रीय अन्तरिक्ष अनुसंधान समिति की स्थापना में इन्होंने सहयोग दिया। तिरुअनन्तपुरम के निकट तुम्बा भूमध्य रॉकेट प्रक्षेपण केन्द्र तथा भारतीय अंतरिक्ष एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी केन्द्र की स्थापना में भी इनका योगदान रहा। डॉ. होमी भाभा भारत को एक परमाणु हथियार सम्पन्न राष्ट्र बनाने के पक्ष में थे। उन्होंने कहा था कि यदि सरकार निर्णय ले ले तो हम डेढ़-दो साल में परमाणु बम बना सकते हैं। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। यदि 60 के दशक में भारत ने परमाणु बम बना लिया होता तो भारत भी परमाणु बम बनाने वाले क्लब का सदस्य होता और विश्व की महाशक्तियों में उसकी गिनती होती। #डॉक्टर होमी भाभा
डॉक्टर होमी भाभा
डॉ. होमी भाभा के कार्यों की विश्वव्यापी सराहना हुई व इन्हें अनगिनत वैज्ञानिक संस्थाओं से पुरस्कार मिले तथा सदस्यता प्राप्त हुई। देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों ने डाक्टरेट की मानद उपाधि से उन्हें सम्मानित किया। सन् 1954 में भारत के राष्ट्रपति ने इन्हें पद्मभूषण से अलंकृत किया। #डॉक्टर होमी भाभा
डॉ. भाभा आजीवन अविवाहित रहकर देश सेवा में डूबे रहे। इसलिये उनको अनेक बार विदेशों की यात्रा करनी पड़ती थी। ऐसी ही एक यात्रा के दौरान एयर इंडिया का विमान स्विटजरलैण्ड की आल्पस पर्वतमाला में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस प्रकार 24 जनवरी 1965 को भारत के इस महान् वैज्ञानिक की अकाल मृत्यु हो गयी। सारे देश में शोक की लहर दौड़ गई। डॉ. भाभा किसी की मृत्यु पर काम बंद करने के विरोधी थे। इसी कारण जब ट्राम्बे में उनकी मृत्यु का समाचार मिला तो उनके सहयोगियों ने काम करते-करते ही उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये। #डॉक्टर होमी भाभा
कुछ लोगों का मत है कि डॉ. होमी भाभा भारत की सीमाओं की स्थायी सुरक्षा के लिये ‘लक्ष्मण रेखा’ जैसी एक महत्वपूर्ण परियोजना पर कार्य कर रहे थे। डॉ. भाभा से भयभीत देशों ने उस विमान को गिरा दिया। इसमें अमेरिका की खुफिया एजेंसी सी.आई.ए. का हाथ होने का संदेह भी किया जाता है। #डॉक्टर होमी भाभा
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