
अप्रैल महिना के स्मरणीय दिवस
- 2 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नवरात्र प्रारम्भ, श्रीराम राज्याभिषेक दिवस, युधिष्ठिर राज्ययाभिषेक दिवस, प्रथम आर्य समाज की मुम्बई में स्थापना (1875 ई0)। डा० केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिवस (1989 ई0)
- 3 अप्रैल संत झूलेलाल जयंती (चैत्र शु. 2 वि.सं.) स्वामी समर्थ गुरू रामदास जयंती, छत्रपति शिवाजी का निधन (1680 ई0)। #स्मरणीय दिवस
- 5 अप्रैल गुरु हरगोविन्द का देहत्याग (चैत्र शु. 51701) | #स्मरणीय दिवस
- 8 अप्रैल मंगल पांडे का बलिदान (1857 ई) नासिक के कुख्यात अंग्रेज जिलाधिकारी जैक्सन को मारने वाले कांतिकारी अनन्त कान्हेरे को फांसी (1910 ई0) दिल्ली केन्द्रीय असैम्बली में भगत सिंह, बटुकेश्वरदत्त द्वारा बम फैका गया (1829 ई.)। #स्मरणीय दिवस
- 13 अप्रैल महान योगी रमण महर्षि का देहत्याग (1950 ई0). जलियाँवाला बाग, अमृतसर में अंग्रेज सैनिकों द्वारा निहत्थे भारतीयों का भीषण संहार (1919 ई0)। 14 अप्रैल (चैत्र शुक्ल त्रयोदशी) स्वामी महावीर जयंती, बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का जन्म (1891 ई0 ) । #स्मरणीय दिवस
- 18 अप्रैल तीन चाफेकर क्रांतिकारी भाईयों में सबसे बड़े दामोदर हरि चाफेकर को फांसी (1898 ई०)। #स्मरणीय दिवस
- 20 अप्रैल वैशाख कृ. चतुर्थी सति अनुसुईया जयन्ती, अद्भुत योद्वा हरि सिंह नलवा का बलिदान (1837 ई०) । #स्मरणीय दिवस
- 21 अप्रैल गुरू तेगबहादुर का जन्म (वैशाख कृ. 5. 1678 ई०) 22 अप्रैल बाजीराव पेशवा प्रथम का देहान्त (1740 ई0). महान् क्रांतिकारी योगेश चन्द्र चटर्जी का दिल्ली में निधन (1969 ई0)। #स्मरणीय दिवस
- 23 अप्रैल (वैशाख कृ. 7) पंचम गुरू अर्जुन देव जी का जन्म। #स्मरणीय दिवस
- 26 अप्रैल वीर कुंवर सिंह का देहांत (1858) गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का देहांत (1920 ई0)। #स्मरणीय दिवस
- 29 अप्रैल महान चित्रकार राजा रवि वर्मा का जन्म आज के दिन ही हुआ था (1848 ई.) #स्मरणीय दिवस

मई माह हेतु स्मरणीय दिवस
2 मई
(वैशाख शु. 2) महर्षि परशुराम जयंती म जमदान और माता रेणुका के तेजस्वी पुत्र परशुराम विद्या में निपुण को पर परशु (फरस) रखकर घूमते थे अतः परशुराम कहलाये। अन्यायी राजाओं का 21 बार संहार किया। केरल की भूमि सागर से प्राप्त की। वहाँ उनके नाम का कुछ है। इसी प्रकार एक परशुराम कुण्ड अरुणाचल प्रदेश में भी है। भगवान विष्णु के दस अवतारों में छठे अवतार माने गये। #स्मरणीय दिवस
3 गई 6 मई अक्षय तृतीया । आद्य शंकराचार्य जयंती (वैशाख शु० 5 ) केरल के कालड़ी ग्राम में शिवगुरू तथा माता आर्याम्बा के यहाँ जन्मे। 12 वर्ष की आयु में ही ज्ञान की सभी शाखाओं पर अधिकार प्राप्त कर में लिया। 16 वर्ष की आयु में वेदांत पर भाष्य लिखा। संन्यास लेकर भारत भ्रमण पर निकले। नर्मदा तट पर गोविन्द भगवत्पाद को गुरू स्वीकार किया। पूरे देश में शास्त्रार्थ द्वारा वेदांत को विजयशाली बनाया। चारों दिशाओं में चार धाम व चार पीठ स्थापित कर राष्ट्रीय एकात्मता की भावना पुष्ट की। 32 वर्ष की आयु में निधन हुआ। केदारनाथ (उत्तराखंड) में समाधि है। #स्मरणीय दिवस
7 मई विश्व कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म (1861 ई.)। भारत व बंगलादेश के राष्ट्रगानों के रचयिता। उनके काव्य संग्रह ‘गीतांजलि’ पर साहित्य का नोबल पुरस्कार दिया गया। (1913 ई.) कविता के अतिरिक्त नाटक, संगीत व कला पर भी अपनी अधिकारिता प्रदर्शित की। उदयभानु नाम से भक्तिमय भजनों की रचनायें की। जलियाँवाला बाग कांड के विरोध में अंग्रेज सरकार द्वारा प्रदत्त ‘सर’ उपाधि त्याग दी थी। #स्मरणीय दिवस
8 मई वासुदेव हरि चाफेकर (चाफेकर भाइयों में सबसे छोटे) का बलिदान दिवस (1890 ई०) पूना के दुष्ट दुराचारी प्लेग कमिश्नर रैण्ड और उसके साथी आर्यस्ट की हत्या का अभियोग दोनों बड़े भाईयो दामोर व बालकृष्ण एक साथ पकड़े गये और फाँसी पर पड़े। वासुदेव में पुलिस के सुख-द बहुओं को भी मार डाला था। उन्हें अलग से 8 मई को फाँसी दी गयी। तीनो भाई लोकमान्य तिलक के अनुयाई थे। #स्मरणीय दिवस
0 मई अंग्रेजों के विरुद्ध प्रथम स्वातंत्र्य समर का श्री गणेश मेरठ से (1857 ई०)। अनेक अंग्रेज अफसर मौत के घाट उतारे गये और सैनिक चोदी मुक्त कराये गये। दिल्ली पर चढ़ाई कर बहादुर शाह को बगावत का नेता घोषित कर दिया। पर इस कारण सिख व गोरखे स्वातंत्र्य समर के प्रति उदासीन हो गये। मूल योजना के अनुसार 31 मई को सारे देश में एक साथ शुरुआत होनी थी और नानासाहब पेशवा का नेतृत्व चलना था। दोनों ही बातों में मेरठ के विद्रोहियों ने गलती की। फिर भी उनकी स्वातन्त्र्य-पिपासा व उसके लिए लड़ने की भावना प्रशंसनीय है। #स्मरणीय दिवस
11 मई सोमनाथ मन्दिर की पुनः प्रतिष्ठा (1951) सरदार पटेल के संकल्प से भारत सरकार द्वारा गठित समिति के प्रयासों से. अनेक बार विध्वंसित सोमनाथ ज्योर्तिलिंग मन्दिर पुनः निर्मित होकर राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा प्रतिष्ठापित किया गया। #स्मरणीय दिवस
15 मई (वैशाख शुक्ल चतुर्थी) नृसिंह जयन्ती। अत्याचारी हिरण्यकशिपु को समाप्त कर भक्त प्रहलाद तथा समस्त जनता को अभय देने के लिए भगवान् विष्णु के तीसरे अवतार जो सतयुग में अवतरित हुए। मूलस्थान (मुल्तान) उनका अवतरण स्थल था। आज पाकिस्तान में है। नृसिंह भगवान् का मन्दिर जीर्णशीर्ण अवस्था में मौजूद है। 16 मई (वैशाख पूर्णिमा) बुद्ध पूर्णिमा भगवान् विष्णु के दशावतारों में नवें गौतम बुद्ध का जन्म सिद्धार्थ नाम से इक्ष्वाकु वंशीय राजा शुद्धोधन के यहाँ हुआ। ज्ञान व मुक्ति की खोज में राजपाट त्यागा । बोध गया (बिहार) में बुद्धत्व की प्राप्ति की। प्रथम उपदेश सारनाथ में उपनिषदों के ज्ञान कांड पर आधारित विचार वेदांत का ही प्रचार किया। #स्मरणीय दिवस
20 मई विपिन चन्द्रपाल का निधन (1932 ई०)। वीर सावरकर जयंती। नासिक जिले के भगूर ग्राम 28 मई में 1883 ई0 में जन्मे। चाफेकर भाईयों की फाँसी (1899) ने इन्हें आंदोलित कर दिया और तभी देश की आजादी के लिए सर्वस्व आहुति की शपथ ली। अंग्रेजी वस्त्रों की सारे भारत में सर्वप्रथम होली 7 अक्टूबर 1905 को पूना में सावरकर ने जलायी। श्यामजी कृष्ण वर्मा से शिवाजी छात्रवृत्ति प्राप्त कर लंदन गये। अभिवन भारत का गठन कर दर्जनों युवकों को क्रांतिकारी बनाया। इनके अनुयाई मदनलाल ढींगरा ने कर्जन वायली को लंदन गोली मारी। भारत में जिला मजिस्ट्रेट जैक्सन की हत्या हुई। सावरकर की लिखी पुस्तक “1857 का स्वातन्त्र्य समर प्रकाशन के पूर्व ही जन्त। सारी चल-अचल सम्पत्ति भी सरकार ने छीन ली। बैरिस्ट्री की डिग्री रोक ली गयी और बी.ए. की डिग्री निलम्बित कर दी गयी। दो जन्मों का कालापानी। अंडमान आदि जेलों से साढ़े 28 वर्ष काटे। अमानवीय यातनायें सही अस्पृश्यता के विरूद्ध अभियान चलाया। शुद्धि के लिए प्रोत्साहित किया। रोटी बंदी, बेटी बंदी, व्यवसाय बंदी, शुद्धि बंदी, वेदोक्त बंदी. सिंधु बंदी. स्पर्श बंदी- सातों बेडियां काटकर समरस हिन्दू समाज रचना के पक्षधर। अखण्ड भारत के द्रष्ट राजनीति का हिन्दूकरण और हिन्दुओं के सैनिकीकरण का अभियान छेड़ा। सुभाष बोस को विदेश आकर रासबिहारी के सम्पर्क में भारतीय युद्धबंदियों की सेना बनाने का परामर्श दिया। ताशकंद समझौते (1966) के बाद भारतीय सेना द्वारा युद्ध में पाकिस्तान से छीनी गयी। भूमि लौटा दिये जाने के विरोध में प्रायोपवेशन करते हुए प्राण त्याग दिये। 31 मई अहिल्या बाई होलकर जयन्ती। #स्मरणीय दिवस
जून माह हेतु स्मरणीय दिवस
2 जून
(ज्येष्ठ शुक्ल 3) महाराणा प्रताप जयंती। बुन्देलखंड के शिवा वीर छत्रसाल का जन्म (वि.सं. 1706)। 18 वर्षीय छत्रसाल की भेंट शिवाजी से प्रेरणा प्राप्त कर मुगलों का साथ छोड़ स्वतंत्रता युद्ध में कूदे। बुन्देलखंड मुक्त कराया। स्वामी प्राणनाथ प्रभु का आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिला। #स्मरणीय दिवस
5 जून
श्रीगुरूजी (माधवसदाशिव गोलवलकर) का देहत्याग (1973 ई.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक (1940-73)। अखंड प्रवास, अहर्निश संघ-साधना। संघ कार्य का बहुआयामी विस्तार किया। कैंसरग्रस्त होने के बावजूद विश्राम नहीं। ‘चिता पर ही विश्राम करेंगे का भाव । #स्मरणीय दिवस
8 जून
(ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी) धूमावती जयंती । बिरसा मुंडा का निधन (1900 ई0) झारखंड में 9 जून वनवासी क्षेत्र के सर्वाधिक जनप्रिय महापुरुष। ‘बिरसा भगवान’ करके आराधना की जाती है। सामाजिक कुरीतियों, ईसाई मिशनरियों तथा ब्रिटिश शासन के खिलाफ जीवन भर संघर्ष किया। पंजाब के गुरु रामसिंह कूका जैसा अवज्ञा व बहिष्कार आंदोजन बिहार में चलाया। अंग्रेजों ने जेल में डाला। वहीं मात्र 25 वर्ष की आयु में अस्वस्थ होकर इहलीला समाप्त की । #स्मरणीय दिवस
10 जून (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) गंगा दशहास । (ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी) #स्मरणीय दिवस
12 जून हिन्दू साम्राज्य दिवस (उत्सव)। छत्रपति शिवाजी ने इस दिन 1674 ई0 में राज्याभिषेक द्वारा हिन्दवी स्वराज्य के स्वप्न की पूर्ति की । आगरा का मुगल बादशाह तथा बीजापर, अहमदनगर, गोलकुंडा, बीदरपुर आदि की बहमनी सत्ताओं एवं अंग्रेजी फ्रेंच, डच पुर्तगालियों आदि हमलावरों का सफलतापूर्वक मुकाबला कर हिन्दू सत्ता केन्द्र को उन्होंने जन्म दिया। भारत के इतिहास में यह युगान्तकारी घटना है। संघ के 6 प्रमुख उत्सवों में से यह एक है। #स्मरणीय दिवस
14 जून (ज्येष्ठ पूर्णिमा) संत कबीर का जन्म (सम्वत 1455) स्वामी रामानंद के शिष्य संत रविदास के गुरुभाई। सिकंदर लोदी ने जंजीरों में बंधवा कर गंगा में फिकवाया फिर पागल हाथी के सामने डाला, पर कुछ बिगाड़ न सका। अन्याय, असत्य, अस्पृश्यता, पाखण्ड के विरोधी हिन्दुत्व के पक्षधर । गुरू ग्रंथ साहब में उनका यह पद ध्यान देने योग्य है। सुनन्त करें तुर्क जो होवे, औरत का क्या करिये। अरध सरीरी नारी न छोड़े, ताते हिन्दू ही रहिये ।। (सुनन्त करने से यदि तुर्क मुसलमान बनते हो तो औरत को आप कैसे मुसलमान बनायेंगे? वह मर्द का अर्धाग है, उसे छोड़ा नहीं जा सकता, अतः बेहतर है कि हिन्दू ही रहें ।) #स्मरणीय दिवस
16 जून गोप बन्धुदास का निधन (1928 ई०) #स्मरणीय दिवस
20 जून राजा दाहिर का बलिदान (712 ई०) #स्मरणीय दिवस
21 जून राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जन्मदाता डॉ० केशव बलिराम हेडगेवार का निधन (1940 ई0)। अत्यत गरीब परिवार में जन्म लेकर हिन्दू समाज को संगठित संस्कारित बनाने का संकल्प पूरा करने के लिए अपना जीवन लगाया। व्यक्ति-निर्माण का तंत्र शाखारूप संघ खड़ा किया। निधन से पूर्व भारत में 600 स्थानों पर शाखायें फैला दी। हल्दी घाटी का प्रसिद्ध युद्ध ( 1576 ई0 ) । महाराणा प्रताप परास्त हुए, चेतक ने प्राण त्यागे, माना एवं झाला बलिदान हुए, पर प्रताप का अनुज शक्ति सिंह मुगलों का साथ छोड़कर बड़े भाई से आ मिला। #स्मरणीय दिवस
23 जून जम्मू कश्मीर की वेदी पर डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान (1953 ई0) #स्मरणीय दिवस
24 जून रानी दुर्गावती का रणक्षेत्र में प्राणोत्सर्ग ( 1564 ई०)। अकबर की सेना से लड़ते हुए गोंडवाने की राजमाता वीरांगना दुर्गावती ने आत्माहुति दी। जबलपुर में समाधि बनी हुई है। #स्मरणीय दिवस
26 जून राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के अमर रचनाकार बंकिम का जन्म (1838 ई०) #स्मरणीय दिवस
27 जून महाराजा रणजीत सिंह का निधन (1839 ई०)। महाराजा रणजीत सिंह का खालसा राज्य ही अंतिम हिन्दू राज्य था, जो उनके निधन के बाद अंग्रेजों के चंगुल में गया। उनकी राजधानी लाहौर थी। पंजाब ही नहीं, कश्मीर व अफगानिस्तान भी रणजीत सिंह ने मुक्त कराया था। उनके राज्य में गौवध की सजा मृत्यूदंड थी। मस्जिदों में अज्ञान देने पर प्रतिबंध था। सोमनाथ देवालय के स्वर्णद्वारों को गजनी से लाकर हरि मंदिर अमृतसर तथा काशी विश्वनाथ मन्दिर को उन्होंने स्वर्णजड़ित कराया था। #स्मरणीय दिवस
ध्वजारोपणम् मन्त्र ओम् नमोऽस्तु ते ध्वजाय। सकल-भुवन जन हिताय ।। विभव-सहित- विमल-चरित-बोधकाय मंगलाय ते सततम् ।। ओम् नमोऽस्तु ते ध्वजाय ।। ओऽऽऽम् ।। #स्मरणीय दिवस
जुलाई माह हेतु स्मरणीय दिवस
• 1 जुलाई : नाना साहब पेशवा का राज्याभिषेक (1857 ई.)। पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र 1851 में बाजीराव के निधन के बाद ईस्ट इंडिया कम्पनी सरकार द्वारा इनकी पेंशन बंद कर दी गयी। साथ ही बिठूर की गद्दी के उत्तराधिकार से भी वंचित कर दिया गया। स्वातंत्र्य युद्ध की योजना रक्त, कमल व रोटी के प्रतीकों द्वारा क्रांति की सत्रद्धता व शपथ दिलाई जाने लगी। 7 जून 1857 को कानपुर को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराया। 1 जुलाई को उनका राज्याभिषेक हुआ। #स्मरणीय दिवस
• 4 जुलाई: स्वामी विवेकानन्द पुण्य तिथि (1902 ई.) #स्मरणीय दिवस
• 6 जुलाई : श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी की जयन्ती (1901 ई०)। • 6 जुलाई : श्रीमती लक्ष्मीबाई केलकर (मौसी जी) राष्ट्र सेविका समिति की संस्थापिका का जन्म (1909)। 1936 ई. में वर्धा में विजयादशमी पर्व पर समिति की नींव डाली। प. पू. डॉक्टर हेडगेवार के निर्देशानुसार दोनों संगठन रेल की पटरियों के समान न मिलते हुए भी समानांतर व एक दिशा में जाने वाले। #स्मरणीय दिवस
• आषाढ़ पूर्णिमा (इस वर्ष 13 जुलाई): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छह उत्सवों में से एक- गुरु पूर्णिमा । महर्षि वेदव्यास जयंती। वेदव्यास ने वेदों का व्यास वर्गीकरण किया, महाभारत, अठारह पुराणों व ब्रह्मसूत्र की रचना की। वे धींवर कन्या सत्यवती के पुत्र थे। अपनी योग्यता द्वारा समाज में सर्वोच्च पद प्रतिष्ठा प्राप्त की। इसी दिन गुरु पूजा करके विद्यार्थी गुरु दक्षिणा अर्पित करते हैं। #स्मरणीय दिवस
• 14 जुलाई : बाजीराव प्रभु देशपाण्डे का बलिदान (1660 बावण, भाद्रपद 2076, युगाब्द 5121 जुलाई, अगस्त, सितम्बर 2019- ई) पन्हालगढ़ में घिरे शिवाजी शत्रु को चकमा देकर विशालगढ़ पलायन कर गये। मार्ग में शत्रु का पीछा करती हुई विशाल सेना को राजापुर की पाटी (खिंड) में बाजीप्रभु ने रोका लड़ते-लड़ते सारा बदन धावत। शिवाजी के सुरक्षित विशालगढ़ पहुँच जाने के संकेत तोपों की आवाज सुनकर ही प्राण त्यागे अंतिम क्षण तक लड़े। #स्मरणीय दिवस
• 14 जुलाई पू भैय्या स्मृति दिवस (2003 ई०) #स्मरणीय दिवस
• 23 जुलाई चन्द्रशेखर आजाद जयंती (सन् 1906 ई.)। मध्यप्रदेश में जन्मे बनवासियों से शस्त्र चलाना सीखा। क्रांतिकारी दल में शामिल काकोरी में ट्रेन से सरकारी खजाना लूटा | हिन्दुस्थान सोशालिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के सेनापति 27 फरवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क, प्रयाग में पुलिस से लड़ते हुए बलिदान । • 23 जुलाई : संत नामदेव का देहत्याग (सम्वत् 1407)। दर्जी ‘परिवार में जन्मे संत विठ्ठल (भगवान् कृष्ण) के परम भक्त संत ज्ञानेश्वर के साथ रहे। गुरु ग्रंथ साहब में आपके रचे साठ से अधिक पद मिलते हैं। #स्मरणीय दिवस
• 26 जुलाई : बाबा साहब आप्टे का निधन (1972 ई.)। यवतमाल में एक निर्धन परिवार में जन्मे थे। अध्यापक बने। फिर एक मुद्रणालय में नौकरी की। प.पू. डॉ. हेडगेवार के सम्पर्क में आये। संघ कार्य की धुन सवार हो गयी। 1932 में नौकरी छोड़ संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता। 1934 संघ के पहले तीन प्रचारकों की टोली में घोर परिश्रम से संघ कार्य का विस्तार किया। सिंघ, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बंगाल आदि अनेक प्रांतों में गये। पं. दीनदयाल उपाध्याय, सुन्दर सिंह भंडारी आपके सम्पर्क में स्वयंसेवक बने। निधन से पूर्व अखिल भारतीय प्रचारक #स्मरणीय दिवस
• 26 जुलाई – कारगिल विजय दिवस (1999) #स्मरणीय दिवस
अगस्त मास हेतु स्मरणीय दिवस
1 अगस्त- लोकमान्य तिलक का देहान्त (1920 ई०)। गणित के अध्यापक । पत्रकार। केसरी (मराठी भाषा में) तथा मराठा (अंग्रेजी भाषा में) नामक दो साप्ताहिक पत्रों के सम्पादक। राष्ट्रीय ती उत्सव व गणेशोत्सव प्रारम्भ किये।
“स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ नारा दिया। कांग्रेस को सरकार परस्त संस्था के स्वरूप में से निकालकर लोक संस्था बनाया। 3 बार जेल यात्रा की। मांडले (बर्मा) जेल में “गीता रहस्य” पुस्तक लिखी। 1916 में होमरूल लीग की स्थापना की। 1899 से उनकी मृत्युपर्यन्त 21 वर्ष का कालखण्ड भारतीय इतिहास में तिलक युग कहलाता है।
• श्रावण कृ. 7 ( इस वर्ष अगस्त) गोस्वामी तुलसीदास द्वारा देयाग (सम्का 1650) भगवान राम के अनन्य भक्त कवि रामचरित मानस, कवितावली, विनयपत्रिका, दोहावली आदि एक दर्जन से अधिक भक्ति काव्य लिखे। इस्लामी हमले से त्रस्त भारतीयों की आत्मा को आह्लादित कर स्वधर्म पर टिके रहने की प्रेरणा देने वाली पुस्तकें।
8 अगस्त कृष्णदेव राय का राज्याभिषेक 1509 ई01 दक्षिण भारत के मध्यकालीन प्रतापी सम्राट ।
• 11 अगस्त – खुदीराम बोस को फाँसी (1908 ई०)। अनुशीलन समिति नामक प्रसिद्ध क्रांतिकारी संगठन के सदस्य।
प्रफुल्ल चाकी के साथ मिलकर क्रूर न्यायाधीश किंग्सफोर्ड पर बन फेंका। वह बच गया, दो गोरी महिलाएँ मारी गयी। खुदाराम एक दिन बाद पकड़े गये। गीता हाथ में लिये हँसते-हंसते 18 वर्षद खुदीराम फाँसी झूल गये। अंतिम संस्कार में लाखों लोग उमड़े। उनकी चिता की भस्म को ताबीज बनाकर लोगों ने रखा। “होमी हाँसी चढ़िबो फाँसी” जैसे लोकगीतों में वह किशोर अमर हो गया। • श्रावण पूर्णिमा (इस वर्ष 12 अगस्त) – रक्षा बंधन पर्व म के छह उत्सवों में से एक।
• 13 अगस्त- देवी अहिल्याबाई होल्कर का दहात (1795 ईo)। भारतीय इतिहास में महान कर्तृत्वशाली महिला के रूप में सम्मान्य। इंदौर की शासिका अंग्रेजों से संघर्ष। प्रजा का संतान के समान पालन।
• 14 अगस्त – भारत का विभाजन (1947 ई.)। भारत के स्वाधीनता दिवस से एक दिन पूर्व भारत माता के टुकड़े कर दिये गये। असंगठित हिन्दू समाज और उसका दूर-दृष्टिहीन नेतृत्व को मुस्लिम अलगाववादियों के तुष्टिकरण व पुष्टिकरण में वर्षों से लगा था, की भूलों ने यह गहरा घाव दिया। बीस लाख लोग मारे गये। श्रीमाँ (महर्षि अरविन्द की शिष्या) के शब्दों में विभाजन एक ऐसा असत्य है, जिसने अखंड भारत के सनातन सत्य को ढक लिया है। यह असत्य दूर होना ही चाहिये। विभाजन द्वारा भारत की साढ़े न लाख वर्ग किलोमीटर भूमि (कुल भूमि का 23 प्रतिशत) 19 प्रतिशत लोगों को दे दी गयी। कांग्रेस नेतृत्व ने अपना वोट बैंक बनाये रखने के लिए ढाई करोड़ मुसलमानों को यहीं पर रोक लिया। ये वही थे, जिन्होंने 1946 के चुनावों में विभाजन के पक्ष में मुस्लिम लीग को वोट दिया।
15 अगस्त स्वाधीनता दिवस वास्तव में भारत को
औपनिवेशिक स्वराज्य ही इस दिन प्राप्त हुआ। राष्ट्राध्यक्ष एक अंग्रेज (माउंटबैटन) बना रहा। तीनों सेनाध्यक्ष अंग्रेज रहे। नेहरू मंत्रिमंडल ने ब्रिटिश सम्राट किंग जार्ज षष्ठम के प्रति निष्ठा की शपथ ली। अंग्रेजों द्वारा पारित ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 के अन्तर्गत भारत का शासन 26 जनवरी, 1950 तक चलता रहा।
• 17 अगस्त मदन लाल ढींगड़ा का बलिदान (1909)। लंदन में वीर सावरकर के अनुयाई बने इंडिया ऑफिस के प्रमुख कर्जन वायली नामक अंग्रेज की हत्या कर भारत के स्वाधीनता संघर्ष को अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर पहुंचा दिया।
• 18 अगस्त पेशवा बाजीराव प्रथम का जन्म (1700 ई०)। बाला जी विश्वनाथ के पुत्र 1720 ई० में पेशवाई संभाली। 20 वर्ष के कार्यकाल में औरंगाबाद, मालवा व गुजरात में मुगलों, हैदराबाद के निजाम और बुंदेलखण्ड में मौ. खाँ बंगश, जो छत्रसाल के स्वराज्य को दबोचना चाहता था, को निर्णायक पराजय दी। अंग्रेजों तथा पुर्तगालियों को भी हराया। दिल्ली पर दस्तक । इनके भय से नादिरशाह दिल्ली से भाग गया। भारतीय इतिहास के माने हुए विजेता 42 युद्ध लड़े, सभी जीते।
• श्री कृष्ण जन्माष्टमी (इस वर्ष 19 अगस्त) भगवान श्रीकृष्ण का पृथ्वी पर अवतरण कंस के कारागार में ब्रज क्षेत्र की जनशक्ति संगठित कर कंस के दमनकारी शासन से मुक्ति दिलायी। महाभारत युद्ध द्वारा अधर्मी सत्ताओं का नाश कराया। गुजरात में द्वारका की अद्भुत नगरी का निर्माण किया जो उनके तिरोधान के बाद स्वयं समुद्र में तिरोहित हो गयी।
• 25 अगस्त रासबिहारी बसु का देहांत (1945)महान क्रांतिकारी । जापान में हिन्दू महासभा के संस्थापक और आजाद हिन्द फौज के संगठक । इन्होंने ही इस फौज की कमान सुवा सुभाष को सौंपी थी। लार्ड हार्डिंग पर बम फेंकने के कारण इन पर अ ने एक लाख का इनाम घोषित किया था, जिसके बाद ये 1915 में जापान चले गये, वहीं के नागरिक होकर मृत्युपर्यंत रहे।
• 26 अगस्त- महारानी पद्मिनी का जौहर (चितौड़ का पहला साका)। मेवाड़ के शासक राव रतन सिंह की महारानी अलाउदीन ने 26 अगस्त 1303 को चित्तौड़ दुर्ग पर 6 मास के घेरे के बाद कब्जा किया। राव रतन सिंह, माता कृष्ण देवी, गोरा-बादल आदि वीर वीरांगनाएँ युद्धभूमि में खेत रहे। पद्मिनी ने कई हजार मी बहिनों के साथ अग्नि प्रवेश किया पर अपना सम्मान अक्षुण्ण रखा। #स्मरणीय दिवस
सितम्बर माह हेतु स्मरणीय दिवस
• 4 सितम्बर 1669 ई. – बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर का विध्वंस, औरंगजेब के आदेश पर मंदिर के अवशेषों पर ज्ञानवापी मस्जिद तामीर करने की कोशिश की। प्राचीन मंदिर की दीवारें तथा नंदी की मूर्तियाँ आदि अभी भी मौजूद हैं। अब प्राचीन ज्योतिर्लिंग भी प्राप्त हो गया है।
• 5 सितम्बर – डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जयंती (1888 ई.)।
• 13 सितम्बर 1929 ई. – महान् क्रांतिकारी यतीन्द्र नाथ दास द्वारा लाहौर जेल में 64 दिन के अनशन के बाद देह त्याग। चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह आदि के साथी । मरते समय शब्द थे “यह हमारे जीवन की विजयादशमी है।” तत्कालीन कांग्रेस के महासचिव नेता जी सुभाषचन्द्र बोस उनके शव को कलकत्ता ले गये और वहाँ अभूतपूर्व अन्तिम यात्रा निकली। *14 सितम्बर – हिन्दी दिवस संविधान सभा द्वारा हिन्दी राजभाषा घोषित ।
• 15 सितम्बर एम. विश्वेसरैय्या जयन्ती। महान् अभियन्ता ।
• 17 सितम्बर विश्वकर्मा जयंती आदि शिल्पी समस्त कला कौशल और उद्योगों के मूल प्रवर्तक उन्हीं का एक पुत्र वृत्तासुर था। उसके आतताई कुकृत्यों से राष्ट्र को मुक्ति दिलाने के लिए स्वयं महर्षि दधीचि की अस्थियों से इन्होंने बज्र बनाया। अभियान्त्रिकी की प्रथम पुस्तक लिखी। राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में यह दिन मनाया जाता है।
• 19 सितम्बर 1726 – खण्डोबल्लाल का निधन। शिवाजी के एक मंत्री बाला जी आवजी के पुत्र राष्ट्रभक्ति की साक्षात् प्रतिमा । शिवाजी के पुत्र संभाजी द्वारा छत्रपति बनने के बाद बालाजी आवजी, उनके एक भाई तथा बड़े पुत्र को हाथी के पैरों तले कुचलवा दिया गया। खंडोबल्लान की बहन को संभाजी की कुदृष्टि के कारण आत्महत्या करनी पड़ी पर नव प्राप्त स्वराज्य के प्रति अखंडित निष्ठा रखते हुए वे सम्भाजी की सेवा में लगे रहे और उनके अंगरक्षक बने। समुद्र में डूबते हुए संभाजी की रक्षा की। औरंगजेब द्वारा संभाजी की नृशंस हत्या (11 मार्च 1689) के बाद शिवाजी के दूसरे पुत्र राजाराम के सहायक बने। राजधानी रायगढ़ की मुगलों द्वारा की गयी जबर्दस्त घेराबंदी के समय छत्रपति राजाराम को सुरक्षित 1200 किलोमीटर दूर जिंजी (तमिलनाडु) पहुँचाने का दुष्कर कार्य खंडोबल्लाल ने ही सम्पन्न कर दिखाया। मार्ग में मुगलों के हाथ में
पड़कर अमानवीय यातनाएं सही पर छूट भागे। बाद में राजाराम महाराज की पत्नियों को भी रायगढ़ से जिंजी पहुँचाया। स्वराज्य के प्रमुख सरदारों को अपने प्रेरणादायी पत्रों से सक्रिय बनाया। स्वराज्य के लिए की गयी भागदौड़ में उनका बड़ा पुत्र बहिरव मुगलों का कैदी हो गया और भीषण अत्याचार सहते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ। जिंजी को भी मुगलों द्वारा घेर लिये जाने के बाद भी छत्रपति राजाराम को बचाने के लिए खंडोबल्लाल ने अपनी जागीर बेच दी। 2 मार्च 1700 को राजाराम महाराज के दिवंगत होने के बाद महारानी ताराबाई और फिर 1708 में छत्रपति बने शाहू जी के नेतृत्व में खंडो बल्लाल उसी निष्ठा से कार्यरत रहे। पहाड़ी पर घोड़े के फिसलने से शाहू जी को बचाया। 1719 ई. में राजमाता येसूबाई को दिल्ली कैद से मुक्त कराकर राजधानी सतारा पहुँचाया। अंतिम समय तक स्वयं की आर्थिक दशा अत्यंत जर्जर हो जाने पर भी स्वराज्य हित जीवन लगा दिया और 19 सितम्बर 1726 को स्वर्ग सिधारे। प.पू. गुरुजी के शब्दों में खंडोबल्लाल जैसे वीरों की चिता से निकली लपटों में मुगल साम्राज्य भस्म हुआ।”
• 20 सितम्बर 1928 केरल के महान् क्रांतिकारी संत नारायण गुरु का निधन। सामाजिक परिवर्तन के पुरोधा । दीन- दुखियों, शोषितों की सेवा की। ऊँच-नीच का भेदभाव दूर किया। महाशिवरात्रि के दिन से अस्पृश्यता दूर करने का कार्य प्रारम्भ किया। पशुबलि समाप्त करायी। पाठशालाओं और मंदिरों का निर्माण किया। सब में हरिजनों को प्रवेश दिया। 1913 में अद्वैत आश्रम की स्थापना की। ‘ओम् सहोदर्यं सर्वत्र’ का मंत्र देकर 20 सितम्बर 1920 को शरीर छोड़ा।
• 24 सितम्बर 1861 मादाम भीकाजी कामा का जन्म। क्रांतिकारी मार्ग से देश को आजाद कराने के प्रयासों में सहभागिता। लंदन में श्यामजी कृष्णवर्मा और वीर सावरकर आदि का सहकार 1907 में स्टुटगार्ट (जर्मनी) में अन्तर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में भारत की ओर से भाग लेते हुए सावरकर के साथ बनाया गया ‘वंदेमातरम्’ अंकित तिरंगा झंडा पहली बार प्रस्तुत किया। दादाभाई नौरोजी को ब्रिटिश संसद के सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ का चुनाव जीतने में भारी मदद की। भारतीय क्रांतिकारियों को शस्त्र व साहित्य भेजती थीं। पता चल जाने पर उनकी समस्त भारतीय सम्पत्ति जब्त हुई। 1936 में भारत लौटकर ही अंतिम सांस ली।
• 25 सितम्बर- पं. दीनदयाल जयंती राजनेता, दार्शनिक, एकात्म मानववाद के प्रणेता।
• 26 सितम्बर- आश्विन कृष्ण पक्ष द्वितीय गुरु अंगददेव को गुरु गद्दी प्राप्त गुरुमुखी लिपि का सृजन लंगर की शुरुआत।
• 28 सितम्बर ( 1907) सरदार भगत सिंह का जन्म। पिता सरदार किशन सिंह, माता विद्यावती देवी के घर ग्राम बंगा, जिला लायलपुर (अब पाकिस्तान में) जन्मे।
• 30 सितम्बर ( 1978 ई) – पूर्व सरकार्यवाह माधवराव मुले का निधन। अत्यन्त निर्धन परिवार में 1912 में जन्मे डॉक्टर हेडगेवार जी के सम्पर्क में आकर परिवार छोड़ कर संघ को जीवन दे दिया। 1940 में प्रचारक के रूप में लाहौर। 1959 में क्षेत्र प्रचारक। 1966 में सह-सरकार्यवाह। 1973 सरकार्यवाह। 1947 में जम्मू- काश्मीर में पाक आक्रमण को इनके नेतृत्व में स्वयंसेवकों ने भी टक्कर दी। आपातकाल में तानाशाही के विरुद्ध संघर्ष चलाया। #स्मरणीय दिवस
अक्टूबर माह हेतु स्मरणीय दिवस
1 अक्टूबर गुरुनानक देव जोति जोत (1539 ई.) 2 अक्टूबर महात्मा गांधी जयन्ती (1869 ई.) लाल बहादुर शास्त्री जयन्ती (1904 ई.)।
5 अक्टूबर (इस वर्ष) विजयादशमी (आश्विन शु. 10)।
ॐ भगवान राम द्वारा रावण पर विजय
- अर्जुन द्वारा विराटनगर में कौरवों पर विजय
पाण्डवों का अज्ञातवास समाप्त
- असम के सेनापति लाचित बड़कन द्वारा विशाल मुगल सेना का पराभव (1670 ई.)। आदिकवि, जिन्होंने विश्व को रामकथा दी एवं राम को सुयोग्य उत्तराधिकारी कुश व लत प्रदान किये।
9 अक्टूबर शरद पूर्णिमा, महर्षि वाल्मीकि जयन्ती।
11 अक्टूबर सामूहिक प्रार्थना के प्रसारक महाराष्ट्र के संत तुकडोजी महाराज देहत्याग (1968 ई)।
13 अक्टूबर भगिनी निवेदिता का महाप्रयाण (1911 ई)। आयरलैण्ड की बेटी मार्केट एलिजाबेथ नोबल ने स्वामी विवेकानन्द की शिष्या बनकर भारत को अपनी माता व कर्मभूमि बनाया।
14 अक्तूबर लाला हरदयाल जयंती (1884 ई.) । गदर पार्टी
के एक संस्थापक।
- असम के महान संत शंकरदेव का जन्मदिवस
- 17 अक्टूबर स्वामी रामतीर्थ पुण्यतिथि (1906 ई.) 1
- 19 अक्टूबर श्री गुरु हर राय जोति जोत (सातवें गुरु )।
- 21 अक्टूबर आजाद हिन्द फौज का स्थापना दिवस (1943 ई.)। 22 अक्टूबर स्वामी रामतीर्थ की जयन्ती (1873 ई.)
- 23 अक्टूबर श्री हनुमान जयन्ती कार्तिक कृ. 13
- 24 अक्टूबर (इस वर्ष ) दीपावली । वनवास तथा रावण को (कार्तिक अमावस्या) समाप्त कर राम के अयोध्या लौटने की स्मृति में दीपमालिका का हर्षोल्लासपूर्ण पर्व। सतयुग में वामन भगवान द्वारा बलि राजा को पाताल भेज देने की घटना का भी इस पर्व से सम्बन्ध। 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण | स्वामी दयानन्द का देहत्याग (1883 ई.)। • हरिमंदिर अमृतसर का निर्माण आरम्भ (1518 ई.)। छठे गुरु हरगोविन्द जी जहांगीर की कैद से मुक्त हो ग्वालियर से
- अमृतसर लौटे (1611 ई.)। 26 अक्टूबर अन्नकूट, गोवर्धन पूजा ।
- 27 अक्टूबर भाई दूज ।
- 27 अक्तूबर वीर बंदा बैरागी का जन्म दिवस (1670 28 अक्तूबर भगिनी निवेदिता जयन्ती (1867 ई.)। ई0)।
- 29 अक्टूबर गुरु गोविन्द सिंह जी जोति जोत (1708 ई.) नान्देड़ महाराष्ट्र
- 31 अक्तूबर सरदार वल्लभभाई पटेल जयन्ती (1875 ई.)
- करमसद ग्राम (गुजरात) में जन्म। 555 रियासतों का भारत में
- विलय कराया। #स्मरणीय दिवस
नवम्बर माह हेतु स्मरणीय दिवस
3 नवम्बर वसुदेव चलवन्त फड़के जयंती 1845 ई. सम्राट हेमचन्द्र (विक्रमादित्य) का बलिदान दिवस) (5 नवम्बर, 1556 ई.)। दिल्ली के अंतिम हिन्दू राजा शेरशाह सूरी के अंतिम उत्तराधिकारी मी. आदिलशाह सूरी के प्रधानमंत्री थे, जिनसे सत्ता के सूत्र हाथ में लिये। अफगान तथा हिन्दू शक्तियों को संयुक्त कर दिल्ली पर कब्जा किया। आगरा भी जीता। विक्रमादित्य की उपाधि धारण की पानीपत की दूसरी लड़ाई में अकबर और बैरम खाँ ने धोखे से मारा इस बलिदान के कारण उत्तर भारत में हिन्दू सत्ता पुनः स्थापित होते-होते रह गयी।
7 नवम्बर महान् वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेंकटरमन का त्रिचनापल्ली (तमिलनाडू) में जन्म (1888 ई.)। एम.एस-सी में प्रथम स्थान प्राप्त कर कलकत्ता में एकाउंटेंट जनरल कार्यालय में नौकरी की। 1917 में उसे त्याग कर कलकत्ता विवि में विज्ञान के अध्यापक/ शोधकार्य में लगे ऑक्सफोर्ड में 1921 में भाषण । पारदर्शक पदार्थों में प्रकाश के गुजरने पर होने वाले परिवर्तन पर डी.एस-सी.। रॉयल सोसायटी लंदन के सदस्य। 1930 में नोबेल पुरस्कार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बंगलूरु के निदेशक। राष्ट्रीय आचार्य (नेशनल प्रोफेसर) की मानद पदवी। 7 नवम्बर विपिन चन्द्र पाल जयन्ती (1858 ई.)।
8 नवम्बर गंगा स्नान का महत्त्वपूर्ण पर्व (कार्तिक पूर्णिमा) ॐ श्री गुरु नानक देव की जयन्ती (सम्वत् 1526, ई. 1469)। सिख पंथ के जन्मदाता। वैदिक ज्ञान को लोकभाषा में प्रस्तुत किया
“पालन हेतु सनातन नेत, वैदिक धर्म विधारन हेत आप प्रभु गुरुनानक रूप प्रगट भये जग सुख भूप। में
(ज्ञानी ज्ञान सिंह, सिख इतिहास के मर्मज्ञ) सनातन नीति के पालन और वैदिक धर्म के विस्तार हेतु स्वयं प्रभु ही गुरु नानक रूप में प्रगट हुए। श्री गुरुनानक श्रीराम के वंश में जन्मे। उन्होंने वैदिक शिक्षाओं के विस्तार हेतु देश-विदेश की यात्रायें कीं। मक्का तक हो आये। लाहौर में दिनदहाड़े गायें कटती देख प्रतिज्ञा ली कि. दसवां रूप धारकर म्लेच्छों का नाश करेंगे। सो दशमगुरु गुरु गोविन्द सिंह के रूप में 200 साल बाद खालसा सजाया और मुगल साम्राज्य उखाड़ फेंका। उनका जन्मस्थान ननकाना साहब जिला शेखपुरा आज पाकिस्तान में हैं।
8 नवम्बर मा. एकनाथ रानाडे जयंती (1914 ई.) मा. भाऊराव देवरस जयंती (1917 ई.)।
10 नवम्बर शिवाजी द्वारा अफजल खाँ का वध (1659
ई.)। बीजापुर के सबसे शक्तिशाली सेनापति को बड़ी सेना सहित यमलोक पहुँचाकर स्वराज्य पर आये तब तक के सबसे बड़े संकट को शिवाजी ने समाप्त किया।
- मा. माधवराव मुले जयन्ती (1912)।
12 नवम्बर महामना मदनमोहन मालवीय पुण्यतिथि (1946
ई.) । हिन्दी हिन्दू-हिन्दुस्थान के प्रति अटूट श्रद्धा । फरवरी 1916 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थापित । हिन्दी के प्रथम दैनिक पत्र ‘हिन्दोस्तान’ के सम्पादक रहे। हिन्दी साहित्य सम्मेलन तथा सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा बनाई। हिन्दू संगठन की आवश्यकता अनुभव कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपने विश्वविद्यालय में स्थान प्रदान किया।
15 नवम्बर विरसा मुंडा जयन्ती (1875 ई.) 17 नवम्बर लाला लाजपत राय पुण्य तिथि (1.928 ई.)।
18 नवम्बर माधवराव पेशवा का निधन (1772 ई.)। महान विजेता व प्रशासक 17 वर्ष की अवस्था में नेतृत्व संभाला (1761 ई.)। पानीपत के तीसरे युद्ध में पराजित हिन्दू शक्ति को गहरी निराशा से उबारकर पुनः विजेता बनाया। निजाम और हैदरअली दोनों को परास्त किया। दिल्ली में प्रवेश किया। पानीपत-विजेता अहमद शाह अब्दाली ने संधि कर ली। पठानों व रुहेलो को हराया। मेरठ, बिजनौर आदि स्थान मुक्त करा लिये। इस्लामी सत्ताये नामशेष रह गयीं। भारत में हिन्दू शक्ति पुनः सर्वोच्च मात्र 27 वर्ष की आयु में क्षयरोग (टी.बी.) से देहान्त (1772 ई.)) पानीपत की हार से भारत की उतनी क्षति नहीं हुई, जितनी माधवराव के असमय प्राणान्त से हुई।
19 नवम्बर- भाऊराव देवरस का जन्म दिवस (1917 ई.) डॉक्टर हेडगेवार जी के प्रिय बाल कार्यकर्ताओं में से एक। बालासाहब देवरस के छोटे भ्राता। विद्यार्थी जीवन से ही संघ के प्रचारक। 1937 में 20 वर्ष की आयु में बी.ए. की उपाधि लेकर नागपुर से लखनऊ संघ कार्य हेतु आये। यहाँ संघ शाखा शुरु करने के साथ बी. कॉम तथा एल.एल.बी. साथ-साथ करते हुए दोनों में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। निजी खर्च के लिये लखनऊ में गुब्बारे भी बेचे। उत्तर प्रदेश के प्रथम प्रान्त प्रचारक बने। दीनदयाल उपाध्याय, बाबूराव मोघे, अटल जी, रज्जू भैया आदि अनेक कार्यकर्ता आपके सम्पर्क में आये। प्रत्यक्ष संघ कार्य एवं विविध क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण कार्य वृद्धि की आजीवन प्रचारक रह कर 13 मई 1992 को अंतिम सांस ली।
23 नवम्बर- महान् वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु का देहान्त (1937)। 1884 में इंग्लैण्ड से विज्ञान स्नातक बने। पेड़-पौधों में जीवन सिद्ध करके दिखाया।
28 नवम्बर – महात्मा ज्योतिबा फुले का देहावसान (1890 ई.)। महाराष्ट्र के महान समाज सुधारक । स्त्री शिक्षा, विधवा- विवाह आदि के लिये रचनात्मक प्रयास किये। छुआछूत के विरुद्ध आंदोलन चलाया। ईसाइयों द्वारा किये जा रहे धर्मान्तरण का प्रखर विरोध किया। इन सभी कार्यों के लिये ‘सत्यशोधक समाज” की स्थापना की। दलितों में शिक्षा प्रसार का भरसक प्रयास। #स्मरणीय दिवस
दिसम्बर मास हेतु स्मरणीय दिवस
4 दिसम्बर नौ सेना दिवस। 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना द्वारा कराची बंदरगाह और पूर्वी पाकिस्तानी क्षेत्र में पाक नौसेना के विनाश की स्मृति में ‘आपरेशन ट्राइडेंट’ (त्रिशूल) की सफल समाप्ति। #स्मरणीय दिवस
5 दिसम्बर- महर्षि अरविन्द का निधन (1950 ई.)। अखण्ड भारत माता के उपासक। राष्ट्र कार्य हेतु आई.सी.एस. छोड़ी, क्रांतिकारी दल में कार्य किया। फिर स्वयं भगवान के आदेश से पांडिचेरी जाकर गहन साधना कर 1926 में सिद्धि प्राप्त की। ‘अतिमानस’ को धरती पर उतारने की दिशा में बढ़ते हुए ‘अधिमानस’ की प्राप्ति हुई। पांडिचेरी में अरविन्द आश्रम की स्थापना। शिष्यों में प्रमुख थीं एक फ्रांसीसी महिला ‘मेरी अल्फांसा’ जो श्रीमां के नाम से विख्यात हुई और जिन्होंने श्री अरविन्द के निधन के बाद उनकी साधना को ही आगे बढ़ाया। गुरु-शिष्या दोनों ने भारत माता का प्रत्यक्ष साक्षात्कार किया था। #स्मरणीय दिवस
6 दिसम्बर- डॉ. अम्बेडकर का निधन (1956 ई.)। अपने देहान्त के केवल 8 सप्ताह पूर्व बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने बौद्ध मत की दीक्षा ली थी ताकि मृत्यु से पहले अपने अनुयाइयों को एक मार्ग दिखा सकें कि यदि मतान्तरण करना ही है तो हिन्दू संस्कृति के अविभाज्य अंग में बने रहते। हुए बौद्ध बनें, मुसलमान अथवा ईसाई नहीं। इसीलिये महास्थाविर चंद्रमणि जी महाराज, जिन्होंने बाबा साहब को बौद्ध मत की दीक्षा नागपुर में 12 अक्टूबर 1956 को दी थी. ने उक्त कार्यक्रम में एक पर्चा प्रचारित किया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि हिन्दू व बौद्ध एक ही वृक्ष की शाखाएं हैं। अम्बेडकर जी के बहुत आत्मीय सम्बन्ध संघ के वरिष्ठ प्रचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी जी के साथ थे। वीर सावरकर, डॉ. मुंजे आदि हिन्दुत्ववादियों के साथ भी बाबा साहब ने सदा निकटता बनाकर रखी। #स्मरणीय दिवस
7 दिसम्बर- झण्डा दिवस (सन् 1949 से प्रारम्भ)।
8 दिसम्बर- गुरु तेगबहादुर भाई मतिदास, भाई सतिदास और भाई दयालदास का धर्म हेतु चांदनी चौक, दिल्ली में बलिदान (1675 ई.) 1 #स्मरणीय दिवस
ॐ भाई परमानन्द का निधन (1947 ई.)। महान स्वातंत्र्य योद्धा, क्रांतिकारी, आर्य समाजी प्रचारक काला पानी की यातनाएं भुगती। परिवार गरीबी की चक्की में पिस गया। तीन बच्चे बगैर इलाज मरे। आप इतिहास प्रसिद्ध भाई मतिदास (गुरु तेग बहादुर से पूर्व धर्म के लिये अपना शरीर आरे से चिरवाने वाले हुतात्मा) के वंशज थे। 21 साल जेल में रहने के बाद हिन्दू 07
महासभा में शामिल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े अपनी संस्था हिन्दू संघ को संघ में विलीन किया। #स्मरणीय दिवस
11 दिसम्बर- बाला साहेब देवरस जन्म (1915 ई.)।
12 दिसम्बर- डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे जन्म (1872 ई.)। हिन्दुत्वनिष्ठ क्रांतिकारी नेता लंदन में गोलमेज सम्मेलन में भम्मिलित हुए थे।
15 दिसम्बर सरदार वल्लभभाई पटेल पुण्यतिथि (1950 ई.)1
16 दिसम्बर- पाकिस्तानी सेना के मशस जवानों का 96 हजार संख्या में समर्पण (1971 ई.)।
17 दिसम्बर- राजेन्द्र लाहिड़ी फांसी (1927 ई.)
19 दिसम्बर- राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ और रोशन सिंह को फांसी (1927 ई.)) गोवा मुक्ति दिवस (1961)
23 दिसम्बर- स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान (1926 ई.) सीताराम बाजार. दिल्ली।
24 दिसम्बर- बड़े गुरु पुत्र अजीत सिंह, जुझार सिंह का बलिदान, चमकौर, 1704 ई.
25 दिसम्बर- महामना मालवीय जयन्ती (1861 ई.))
26 दिसम्बर- छोटे गुरु पुत्र फतह सिंह, जोरावर सिंह दीवारों में चिने गये फतहगढ़ (1704 ई.)।
30 दिसम्बर- महर्षि रमण जन्मदिवस (1879 ई.)। #स्मरणीय दिवस
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