सिद्धि परिचय :
आध्यात्मिकता और योग साधना के रहस्यों में छुपे हैं 16 सिद्धियाँ, जो व्यक्ति को अपने आत्मा के साथ मेल करने का अद्वितीय अनुभव कराती हैं। ये सिद्धियाँ एक आद्यात्मिक साधक को अनेक अद्भुत गुणों और शक्तियों से युक्त बनाती हैं। आइए, हम इन 16 सिद्धियों के रहस्यों को समझते हैं।
1. वाक् सिद्धि: यह सिद्धि वचन की महत्वपूर्णता को बताती है, जो समर्थ व्यक्ति को व्यवहार में पूर्णता प्रदान करता है। इससे वह श्राप और वरदान देने में समर्थ होता है।
2. दिव्य दृष्टि सिद्धि: इस सिद्धि से व्यक्ति को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है, जिससे उसे भूत, भविष्य, और वर्तमान का संपूर्ण ज्ञान होता है।
3. प्रज्ञा सिद्धि: यह सिद्धि मेधा, बुद्धि, और ज्ञान की ऊर्जा को उत्तेजित करती है, जिससे व्यक्ति जीवन के सभी क्षेत्रों में समर्थ होता है।
4. दूरश्रवण सिद्धि: यह सिद्धि व्यक्ति को भूतकाल में हुई घटनाओं को सुनने की क्षमता प्रदान करती है।
5. जलगमन सिद्धि: यह सिद्धि व्यक्ति को जल, नदी, और समुद्र पर अद्वितीय रूप से विचरण करने की क्षमता प्रदान करती है।
6. वायुगमन सिद्धि: इस सिद्धि के धन्य साधक को अपने शरीर को सूक्ष्मरूप में परिवर्तित कर, स्वतंत्रता से वायुमंडल में गमन करने की शक्ति होती है।
7. अदृश्यकरण सिद्धि: इस सिद्धि से व्यक्ति अपने शरीर को सूक्ष्मरूप में परिवर्तित कर खुद को अदृश्य बना सकता है, जिससे उसे दूसरे द्वारा नहीं देखा जा सकता।
8. विषोका सिद्धि: इस सिद्धि से व्यक्ति अपने आत्मा को अपने स्थूल शरीर से अलग रूप में परिवर्तित कर सकता है, जिससे भूख, प्यास, और भावना का कोई प्रभाव नहीं रहता।
9. देवक्रियानुदर्शन सिद्धि: इस सिद्धि से साधक विभिन्न देवताओं का साहचर्य प्राप्त कर सकता है और उनसे सहायक बना सकता है।
10. कायाकल्प सिद्धि: इस सिद्धि से व्यक्ति अपने शरीर को सदैव रोगमुक्त और यौवनवान बना सकता है।
11. सम्मोहन सिद्धि: इस सिद्धि के धन्य साधक अपने चरणों में जगह बनाकर सभी को अपने अनुकूल बना सकता है।
12. गुरुत्व सिद्धि: इस सिद्धि से व्यक्ति गरिमावान बनता है, जो ज्ञान का भंडार होता है और देने की क्षमता होती है।
13. पूर्ण पुरुषत्व सिद्धि: इस सिद्धि से व्यक्ति अद्वितीय पराक्रम और निडर होता है, जो शत्रुओं का संहार करने के साथ-साथ धर्म की स्थापना करता है।
14. सर्वगुण संपन्न सिद्धि: इस सिद्धि से युक्त व्यक्ति संसार में श्रेष्ठतम बनता है और लोकहित एवं जनकल्याण का कार्य करता है।
15. इच्छा मृत्यु सिद्धि: इस सिद्धि से साधक काल के बंधन से मुक्त होता है और जब चाहे अपने शरीर का त्याग कर नया शरीर धारण कर सकता है।
16. अनुर्मि सिद्धि: इस सिद्धि से व्यक्ति को भूख-प्यास, सर्दी-गर्मी, और भावना-दुर्भावना का कोई प्रभाव नहीं रहता। यह सिद्धि उसे अद्वितीय अवस्था में ला देती है।
समापन: इन 16 सिद्धियों के अद्भुत रहस्यों को समझकर हम अपने आध्यात्मिक जीवन को समृद्धि और सामर्थ्य से भर सकते हैं। इन सिद्धियों की साधना से हम अपने आत्मा के अद्वितीय स्वरूप को पहचान सकते हैं और एक उच्चतम स्तर की जीवन दर्शन प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार, ये सिद्धियाँ हमें आत्मा के साथ एकात्म्य में पहुंचा कर, एक शान्त, संतुलित और समृद्धि भरे जीवन की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं। जय श्रीराम, जय सनातन धर्म, जय गोविंदा!

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