एकलगीत
विश्व गुरु तव अर्चना में, भेंट अर्पण क्या करें? जबकि तन-मन-धन, तुम्हारे और पूजन क्या करें?
प्राची के अरुणिम छटा है, यज्ञ की आभा-विभा है, अरुण ज्योतिर्मय ध्वजा है, दीप दर्शन क्या करें ? ।।1।।
वेद की पावन ऋचा से, आज तक जो राग गूँजे, वन्दना के उन स्वरों में, तुच्छ वन्दन क्या करें ? 11211
राम के अवतार आएँ, कर्ममय जीवन चढ़ाएँ अजिर तन तेरा चलाएँ, और अर्चन क्या करें ? 11311
पत्र-फल और पुष्प जल से, भावना ले हृदय तल से, प्राण के पल-पल विपल से, आज आराधन करें।।4।।
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