गणगीत
परम् वैभवी भारत होगा, संघ शक्ति का हो विस्तारा
गूँज उठे-गूँज उठे, भारत माँ की जय-जयकार |
भारत माँ की जय-जयकारी
व्यक्ति और परिवार प्रबोधन, समरसता का भाव बढ़े,
नित्य मिलन चिन्तन मन्थन से, संगठना का भाव जगे ।
इसी भाव के बल से गूँजे, देशभक्ति की फिर हुंकार ||१||
भारत माँ की जय-जयकार……
हो किसान या हो श्रमजीवी, व्यवसायी या सैनिक हो,
अध्यापक विद्यार्थी सेवक, वैज्ञानिक या लेखक हो।
देशभक्ति और स्वावलम्बिता, शिक्षा में हों ये संस्कार ॥२॥
भारत माँ की जय-जयकार…….
हिन्दू संस्कृति की संरचना, मानवता का रक्षण है,
जीव दया सृष्टि की पूजा, यह स्वभावगत लक्षण है।
शुद्ध गगन पानी माटी से, निर्विकार बन बहे बयार ॥ ३ ॥
भारत माँ की जय-जयकार……
शुभ परिवर्तन करने को अब, हम ऐसा संकल्प करें,
अखण्ड भारत का वह सपना, सब मिलकर साकार करें।
बाधा कोई रोक न सकती, जन्मसिद्ध अपना अधिकार ॥४॥
भारत माँ की जय-जयकार……
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