गणगीत
ये उथल-पुथल, उत्ताल लहर पथ से न डिगाने पायेगी।
पतवार चलाते जायेंगे, मंजिल आयेगी- आयेगी ।।ध्रु।।
लहरों की गिनती क्या करना? कायर करते हैं, करने दो,
तूफानों से सहमे जो हैं, पल-पल मरते हैं मरने दो।
चिर पावन नूतन बीज लिये, मनु की नौका तिर जायेगी ।। पतवार चलाते जायेंगे…. ।।1।।
अन-गिन संकट जो झेल बढ़ा वह यान हमारा अनुपम है,
नायक पर है विश्वास अटल, दिल में बाहों में, दम खम है।
यह रैन अंधेरी बीतेगी, ऊषा जय मुकुट चढ़ायेगी।। पतवार चलाते जायेंगे…. 112 11
विध्वंसों का ताण्डव फैला हम टिके सृजन के हेम शिखर,
हम मनु के पुत्र प्रताती हैं, वर्चस्वी धीरोदत्त प्रखर ।
असुरों की कपट कुचाल कुटिल, श्रद्धा सबको सुलझायेगी।। पतवार चलाये जायेंगे…. ।। 3 ।।
इतिहास हमारा सम्बल है, विज्ञान हमारा है भुजबल,
गत वैभव का आदर्श आज कर देगा भावी भी उज्ज्वल ।
नूतन निर्मित की तृप्ति अमर फिर गीत विजय के गायेगी । पतवार चलाते जायेंगे……. 11411
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