गणगीत
हम जैसे चलते हैं, तुम भी चलो न। हम जैसे रहते हैं, तुम भी रहो न।।
नदियां तो बहती हैं, सागर की ओर जाती हैं, बहते-बहते वो तो, सागर में मिल जाती हैं। नदियां ये कहती है, तुम भी मिलो न, हम जैसे बहते हैं, तुम भी बहो न ।। हम जैसे चलते हैं, तुम भी चलो न…
पत्थर की ये मूरत देखो, पहले तो यह पत्थर थी, घावों को सहते-सहते, मूरत बन गयी ये देखो। मूरत ये कहती हैं, तुम भी बनो न, हम जैसे सहते हैं, तुम भी सहो न, हम जैसे चलते हैं, तुम भी चलो न
नन्हे-नन्हे दीपक देखो, जगमग जगमग करते हैं, अपने को जलाकर वे, अंधेरा दूर करते हैं, दीपक ये कहते हैं, तुम भी करो न, हम जैसे जलते हैं, तुम भी जलो न ।। हम जैसे चलते हैं, तुम भी चलो न
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