बालगीत
शाखा है गंगा की धारा, डुबकी नित्य लगाते हैं।
माँ का वन्दन साँझ सवेरे श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं ।। ।।
संघ साधना अर्चन पूजन प्रतिदिन शीश झुकाते हैं.
भारत माँ के भव्य भाल पर भगवा ध्वज लहराते हैं।
संघस्थान मंदिर सा पावन मन समरस हो जाते हैं ।।
माँ का वंदन सांझ-सवेरे…..
इसकी रज में खेल खेलकर तन चन्दन बन जाता है,
योग खेल रविनमस्कार से तन निरोग हो जाता है ।
स्नेह भाव से मिलते जुलते मन-मत्सर मर जाते हैं ।।
माँ का वंदन सांझ-सवेरे….. 112 11
लोक संगठन के संवाहक गटनायक बन जाते हैं,
कुम्भकार सी रचना करके गण शिक्षक कहलाते है ।
देश भक्ति के गीत हृदय में मातृभक्ति पनपाते है ।।
माँ का वंदन सांझ-सवेरे…..।।3।।
मधुकर की यह तप साधना वज्र शक्ति बन जाएगी,
माँ बैठेगी सिंहासन पर यश वैभव को पाएगी ।
केशव माधव का यह दर्शन मोहजाल कट जाते हैं ।।
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