बालगीत
हमको अपने भारत की, माटी से अनुपम प्यार है
माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है ।। छु ।।
इस धरती पर जन्म लिया था, दशरथ-नन्दन राम ने
इस धरती पर गीता गायी, यदुकुल-भूषण श्याम ने
इस धरती के आगे झुकता, मस्तक बारम्बार है || 1 ||
इस धरती की गौरव-गाथा, गायी राजस्थान ने
इसे बनाया वीरों ने, पावन अपने बलिदान
से मीरा के गीतों की इसमें, छिपी हुई झंकार है 11 211
कण-कण मंदिर इस माटी का, कण-कण में भगवान हैं
इस माटी से तिलक करो, यह अपना हिन्दुस्थान है
हर हिन्दु का रोम-रोम, भारत का पहरेदार है ।13।।
हमको अपने भारत की, माटी से अनुपम प्यार है
माटी से अनुपम प्यार है, माटी से अनुपम प्यार है।
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