सुभाषित
बनानि दहतो वहेः, सखा भवति पारुतः ।
स एवं दीपनाशाय, कृशे कस्यास्ति सौहदम् ॥
अर्थ: वन में आग लगते समय हवा अग्नि की सहायता करता है।
किन्तु यही हवा दीपक बुझा देती है। दुर्बल की कोई सहायता नहीं
करता, अतः सबल होना चाहिये।
अगस्त माह हेतु
समानी व आकृतिः समाना हृदयानि वः ।
समानमस्तु वो मनो यथा वः सुसहासति ॥ (ऋग्वेद)
तुम्हारा अभिप्राय एक समान हा, तुम्हारा अन्तःकरण
अर्थ : एর समान हो, और तुम्हारा मन एक
समान हो, जिससे तुम्हारा सुसंगठन होगा,
अर्थात संघशक्ति की दृढ़ता होगी।
सितम्बर माह हेतु
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग ।
चंदन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग ॥
अर्थ : रहीम कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं उसके
बुरी संगत भी बिगाड़ नहीं पाती, जहरीले सांप चन्दन के वृक्षः
लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते।
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