(क) गहरी सांस लेकर कूदते हुए पैरों की सवा या डेढ़
मीटर अंतर पर रखें। हाच बाजू में, कंधों की सीध में,
जमीन से समानांतर, हथेलियाँ जमीन की ओर।
(ख) बाँए पैर को बाँई ओर १०. ओर दाहिने पैर को कुछ
बाँई ओर घुमाएं। बॉए पैर की मंदिरशिरा की मांसपेशियों को तानें।
(ग) बाँस छोड़ें और बाएं पैर को घुटने में तब तक मोड़े जब तक बाँई जंघा जमीन से समानांतर और दाँयी जंघा जमीन से लम्बरूप न हो जायें।
(घ) दोनों हाथों को बाहर की ओर इस प्रकार तानें मानो दो व्यक्ति विपरीत दिशाओं
में आपको खींच रहे हों। सिर को बाँई ओर घुमाएं और दृष्टि बाई हथेली पर स्थिर करें।
दाहिने पैर के स्नायु को पूरी तरह खींचे
। पैर के पिछले हिस्से, पृष्ठ प्रदेश और नितम्ब एक सीध में होना चाहिये।
गहरी सांस लेते हुए इसी स्थिति में 20 से 30 सेकंड रहें। (च) तत्पश्चात् क्रमशः ‘ग’ ‘ख’ और ‘क’ की स्थिति में आएँ।
(छ) ‘ख’ ‘ग’ व ‘घ’ का काम दाहिनी ओर कर पुनः उल्टे क्रम से ‘ख’ की स्थिति में वाँस लेकर वापस लौटे।
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