गीत
प्राची के मुख की अरुण ज्योति, यह भगवा ध्वज फहरे।
यह भगवा ध्वज फहरे ।
। यह वह्नि शिखा का वेष लिए, गत वैभव का संदेश लिए।
हिन्दू संस्कृति का अचल रूप, यह भगवा ध्वज फहरे ।।1।।
भारतमाता का उच्च भाल, आर्यों के उर की अग्नि ज्वाल ।
हिन्दू संस्कृति का अमर चिह्न, यह भगवा ध्वज फहरे ।
।2।। यह चन्द्रगुप्त कर की कृपाण, विक्रमादित्य का शिरस्त्राण।
इस आर्य देश का कठिन कवच, यह भगवा ध्वज फहरे ।।३।।
बप्पा रावल की शान यही, चौहान नृपति का मान यही ।
राणा के त्यागों का प्रतीक, यह भगवा ध्वज फहरे ।।4।।
बंदा गुरु के बलिदानों से, रक्षित फत्ता के प्राणों से।
नीतिज्ञ शिवा का विजयकेतु, यह भगवा ध्वज फहरे । ।5।।
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