गीत
करवट बदल रहा है देखो भारत का इतिहास
करवट बदल रहा है देखो भारत का इतिहास
से विस्मृत्त गौरव का. सौम्य शान्त सुखदायी जननी,
नव-युग नवजीवन देगी। उस जीवन-दर्शन से होगा, मानवीय।
पश्चिम के असफल चिन्तन का होगा शनै: शनै अब हाल 111
टोक मिटे यूनान मिट गए, भरत-भूमि है
अविनाशी आदि अनादि अनंत राष्ट्र है,
संस्कृति शुचिता अभिलाषी। भोग-वाद के महल दह रहे, बदल रहा इतिहास।
बुझा सके हिन्दुत्व सुधा ही, अब वसुधा की प्यास
11211 सत्रह बार क्षमा अरिदल को, ऐसी मूल न अब होगी।
कोटि-कोटि बाँहों वाली माँ, अब ना अबला कहलाएगी।
देश-विघातक षड्यंत्रों का, निश्चित निकट-विनाश।
एक अखंडित-भारत देगा. अनुपम अटल-विश्वास
11311 संघ-वृक्ष शाखा-उपशाखा, दसों दिशा में फैल रही।
हिन्दू राष्ट्र की विजय-पताका, लहर-लहर ललकार रही।
केवल सत्ता से मत करना, परिवर्तन की आस ।
जागृत जनता के केन्द्रों से, होगा अमर समाज | |4 ||
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