(क) बाँस लेते हुए दोनों हाथ कंधों की सीध में उठाकर बाहर की ओर बाँस छोड़ना।
(ख) बीस लेते हुए हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर हथेलियों को मिलाना, दोनों हाथों और सम्पूर्ण शरीर को ऊपर की ओर तानना, दृष्टि सामने या हथेलियों की ओर।
(ग) बॉस लोड़ते हुए ‘क’ की स्थिति में आना, बाँस लेना। बाँस छोड़ते हुए समस्थिति में आना।
दरिणाम: दोनों पैरों की एड़ियों व पंजों पर समान भार डालकर खड़े होने की उचित स्थित का अभ्यास करने में यह आसन बहुत उपयोगी है। ताड़ासन में नितम्ब संकुचित किये जाते पेट अंदर खींचा जाता 1 है जिससे शरीर में हल्केपन का अनुभव होता। 1 है और मन स्फूर्ति करता है। सम्पूर्ण शरीर को तानने से रीढ़ सशक्त बनती है और ऊँचाई बढ़ती
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