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एकात्मतास्तोत्रम्

एकात्मतास्तोत्रम्
(देश के प्रति अनन्य भक्ति, पूर्वजो के प्रति अगाध श्रद्धा तथा सम्पूर्ण देश में निवास करने वाले बन्धु-बान्धवों के प्रति एकात्मता का बोध कराने वाले इन मंत्रों का नित्य प्रति पाठ करना चाहिए।)
ॐ सच्चिदानन्दरूपाय नमोऽस्तु परमात्मने ।
ज्योतिर्मयस्वरूपाय विश्वमाङ्गल्यमूर्तये । । 1 । ।
विश्वकल्याण के प्रतिमूर्ति, ज्योतिर्मय, सच्चिदानन्द स्वरूप
परमात्मा को नमस्कार ।।1।।
प्रकृतिः पञ्च भूतानि ग्रहा लोका स्वरास्तथा ।
दिशः कालश्च सर्वेषां सदा कुर्वन्तु मङ्गलम् । 12 ।। #एकात्मतास्तोत्रम्
सत्व, रज और तमोगुण से युक्त प्रकृति; पंचभूत (अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश); नवग्रह; तीनों लोक; सात स्वर; दसों दिशाएं तथा सभी काल (भूत, भविष्य, वर्तमान) सर्वदा कल्याणकारी हों ||2||
रत्नाकराधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम् ।
ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्यां वन्दे भारतमातरम् || 3 ||#एकात्मतास्तोत्रम्
सागर जिसके चरण धो रहा है, हिमालय जिसका मुकुट है। और जो ब्रह्मर्षि तथा राजर्षि रूपी रत्नों से समृद्ध है, ऐसी भारतमाता की मैं वन्दना करता हूँ || 3 ||#एकात्मतास्तोत्रम्
महेन्द्रो मलयः सहयो, देवतात्मा हिमालयः ।
ध्येयो रैवतको विन्ध्यो, गिरिश्चारावलिस्तथा ।। 4।।#एकात्मतास्तोत्रम्
महेन्द्र (उड़ीसा में), मलयगिरि (मैसूर में), सहयाद्रि (पश्चिमी घाट), देवतात्मा हिमालय, रैवतक (काठियावाड़ में गिरनार), विन्ध्याचल, तथा अरावली (राजस्थान) पर्वत ध्यान करने योग्य हैं।। 4।।#एकात्मतास्तोत्रम्
गङ्गा सरस्वती सिन्धुर्ब्रह्मपुत्रश्च गण्डकी । कावेरी यमुना रेवा कृष्णा गोदा महानदी ॥ 5 ॥
गंगा, सरस्वती, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, गण्डकी, कावेरी, यमुना,
रेवा (नर्मदा), कृष्णा, गोदावरी तथा महानदी आदि प्रमुख नदियाँ ।। 5 ।। अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्चि अवन्तिका ।
वैशाली द्वारिका ध्येया पुरी तक्षशिला गया ।। 6 ।।#एकात्मतास्तोत्रम्
अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार). कांशी, कांचि. अवन्तिका (उज्जैन), द्वारिका, वैशाली, तक्षशिला, जगन्नाथपुरी गया तथा ।। 611
प्रयागः पाटलीपुत्रं विजयानगरं महत् । इन्द्रप्रस्थं सोमनाथः तथाऽमृतसरः प्रियम् ।। 7।।#एकात्मतास्तोत्रम्
प्रयाग, पाटलीपुत्र, विजय नगर, इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) विख्यात
सोमनाथ, अमृतसर ध्यान करने योग्य हैं ।। 7।। चतुर्वेदाः पुराणानि सर्वोपनिषदस्तथा । रामायणं भारतं च गीता सद्दर्शनानि च ।। 8 ।।#एकात्मतास्त्रोतम
चारों वेद, 18 पुराण, सभी उपनिषद्, रामायण, महाभारत,
गीता तथा अन्य श्रेष्ठ दर्शन और ।। 8 ।।#एकात्मतास्तोत्रम्
जैनागमास्त्रिपिटका गुरुग्रन्थः सतां गिरः । एष ज्ञाननिधिः श्रेष्ठः श्रद्धेयो हृदि सर्वदा ॥ 9 ॥
जैनों के आगम ग्रन्थ, बौद्धों के त्रिपिटक (विनय पिटक, सुत्तपिटक, और अभिधम्म पिटक) तथा श्री गुरुग्रंथ की सत्य वाणी, हिन्दू समाज के श्रेष्ठ ज्ञानकोष हैं। इनके प्रति हृदय में सदा श्रद्धा बनी रहे ।। 9।।#एकात्मतास्त्रोतम
अरुन्धत्यनसूया च सावित्री जानकी सती ।
द्रौपदी कण्णगी गार्गी मीरा दुर्गावती तथा ।। 10।। अरुन्धती, अनुसूया, सावित्री, सीता, सती. द्रौपदी, कण्णगी, गार्गी, मीरा दुर्गावती तथा ।। 10 ।।
लक्ष्मीरहल्या चेन्नम्मा रुद्रमाम्बा सुविक्रमा । निवेदिता सारदा च प्रणम्या मातृदेवताः ॥ 11 ॥#एकात्मतास्त्रोतम
लक्ष्मीबाई, अहल्याबाई होलकर चन्नम्मा आदि पराक्रमी नारियाँ, भगिनी निवेदिता तथा सारदा (स्वामी रामकृष्ण परमहंस की पत्नी) मातृस्वरूपा हैं, वन्दनीय हैं ।। 11 ।।
श्रीरामो भरतः कृष्णो भीष्मो धर्मस्तथार्जुनः ।
मार्कण्डेयो हरिशचन्द्रः प्रहलादो नारदो ध्रुवः ।। 12|| भगवान श्रीराम, भरत, कृष्ण, भीष्म, धर्मराज युधिष्ठिर, अर्जुन, ऋषि मार्कण्डेय, हरिश्चन्द्र प्रह्लाद, नारद, ध्रुव तथा ।।12।।#एकात्मतास्तोत्रम्
हनुमान जनको व्यासो वशिष्ठश्च शुको बलिः ।
दधीचि विश्वकर्माणौ पृथुवाल्मीकिभार्गवाः ।। 13।। हनुमान, जनक, व्यास, वशिष्ठ, शुकदेव, राजा बलि, विश्वकर्मा, पृथ, वाल्मीकि, भार्गव (परशुराम ) ।। 13।।#एकात्मतास्तोत्रम्
दधीचि,
भगीरथश्चैकलव्यो मनुर्धन्वन्तरिस्तथा । शिबिश्च रन्तिदेवश्च पुराणोद्गीतकीर्तयः ॥ 14 ॥#एकात्मतास्त्रोतम
भगीरथ, एकलव्य, मनु, धन्वन्तरि, शिबि तथा रन्तिदेव की कीर्ति पुराणों में गाई गई है ।। 14 ।।
बुद्धा जिनेन्द्रा गोरक्षः पाणिनिश्च पत०जलि । शंकरो मध्वनिम्बार्कौ श्रीरामानुजवल्लभौ ।। 1511
बुद्ध के सभी अवतार, सभी तीर्थकर, गुरु गोरखनाथ, पाणिनि, पंतजलि, शंकाराचार्य, मध्वार्चा, निम्बार्काचार्य, रामनुजाचार्य तथा बल्लभाचार्य, ।। 15।।
झुलेलालोऽथ चैतन्यः तिरुवल्लुवरस्तथा ।
नायन्मारालवाराश्च कंबश्च बसवेश्वरः ।। 16।।#एकात्मतास्तोत्रम्
झूलेलाल, महाप्रभु चैतन्य, तिरुवल्लुवर, नायन्मार तथा आलवार सन्तपरम्परा, कंब, बसवेश्वर तथा ।। 16।।#एकात्मतास्त्रोतम
देवलो रविदासश्च कबीरो गुरुनानकः ।
नरसिस्तुलसीदासो दशमेशो दृढव्रतः ॥ 17 ॥ महर्षि देवल, सन्त रविदास, कबीर, गुरुनानक, नरसी तुलसीदास, दृढव्रती गुरुगोविन्दसिंह, ।। 17।। श्रीमत् शंकरदेवश्च बन्धू सायण – माधवौ ।#एकात्मतास्त्रोतम
मेहता.
ज्ञानेश्वरस्तुकारामो रामदासः पुरन्दरः ।। 18 ।। आसाम के वैष्णव सन्त श्रीमत् शंकरदेव, सायणाचार्य, माधवाचार्य संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम, समर्थगुरु रामदास, पुरन्दरदास ।। 18 ।।#एकात्मतास्तोत्रम्
बिरसा सहजानन्दो रामानन्दस्तथा महान् । वितरन्तु सदैवेते दैवीं सद्गुणसम्पदम् ।। 1911 बिरसामुण्डा, स्वामी सहजानन्द, रामानन्द आदि महान
पुरुष सदैव समाज को श्रेष्ठ गुण प्रदान करें ।। 1911 भरतर्षिः कालिदासः श्रीभोजो जकणस्तथा । सूरदासस्त्यागराजो रसखानश्च सत्कविः ।। 20।।
नाट्यशास्त्र के आदि गुरु भरत ऋषि, संस्कृत के विद्वान कालिदास, महाराजा भोज, जकण, महात्मा सूरदास, त्यागराज, रसखान जैसे श्रेष्ठ कवि तथा । । 20।।
रविवर्मा भातखण्डे भाग्यचन्द्रः स भूपतिः ।
कलावन्तश्च विख्याता स्मरणीया निरन्तरम् ।। 21।। महान चित्रकार रविवर्मा, वर्तमान संगीत कला के विख्यात उद्धारक भातखण्डे, मणिपुर के राजा भाग्यचन्द्र आदि विख्यात
कलाकार सर्वदा स्मरणीय हैं। ।। 21 । । अगस्त्यः कम्बुकौण्डिन्यौ राजेन्द्रश्चोलवंशजः ।#एकात्मतास्त्रोतम
अशोकः पुष्यमित्रश्च खारवेलः सुनीतिमान्।। 22 ।।#एकात्मतास्तोत्रम्
अगस्त्य, कम्बु, कौण्डिन्य, चोलवंशज राजेन्द्र, अशोक, पुष्यमित्र तथा खारवेल नीतिज्ञ हैं ।। 22।।#एकात्मतास्त्रोतम
चाणक्य-चन्द्रगुप्तौ च विक्रमः शालिवाहनः । समुद्रगुप्तः श्रीहर्षः शैलेन्द्रो बप्परावलः ।। 23।।
चाणक्य, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, शालिवाहन, समुद्रगुप्त, हर्षवर्धन, शैलेन्द्र, बप्पारावल तथा ।। 23 ।। लाचिद् भास्करवर्मा च यशोधर्मा च हूणजित् ।
श्रीकृष्णदेवरायश्च ललितादित्य उद्बलः ॥24 ॥ लाचिद् बड़फुंकन, भास्करवर्मा, हूणविजयी ‘यशोधर्मा, श्रीकृष्णदेवराय तथा ललितादित्य जैसे वलशाली ।। 24।।

मुसुनूरिनायकौ तौ प्रतापः शिवभूपतिः । रणजित्सिंह इत्येते वीरा विख्यातविक्रमाः ।। 25।।
प्रोलय नायक, कप्पयनायक, महाराणाप्रताप, महाराज शिवाजी तथा रणजीत सिंह, इस देश में ऐसे विख्यात पराक्रमी वीर हुए हैं। 25।।
वैज्ञानिकाश्च कपिलः कणादः सुश्रुतस्तथा ।
चरको भास्कराचार्यो वराहमिहिरः सुधीः ।। 2611 हमारे बुद्धिमान वैज्ञानिक कपिलमुनि, कणाद ऋषि सुश्रुत, चरक, भास्काराचार्य तथा वराहमिहिर ।। 26 ।।
नागार्जुनो भरद्वाज आर्यभट्टो बसुर्बुधः ।
ध्येयो वेङ्कटरामश्च विज्ञा रामानुजादयः ॥ 27
।।
नागार्जुन, भरद्वाज, आर्यभट्ट, जगदीशचन्द्र बसु, चन्द्रशेखर वेंकट रमन तथा राजमानुजम् जैसे प्रतिभावान वैज्ञानिक स्मरणीय
हैं । 27 ।।
रामकृष्णो दयानन्दो रवीन्द्रो राममोहनः । रामतीर्थोऽरविंदश्च विवेकानन्द उद्यशाः ।। 28 ।।
रामकृष्ण परमहंस, स्वामी दयानन्द, रवीन्द्रनाथ टैगोर राजा राममोहनराय, स्वामी रामतीर्थ, महर्षि अरविन्द स्वामी विवेकानन्द
तथा ।। 28 ।।
दादाभाई गोपबन्धुः तिलको गान्धिरादृता । रमणो मालवीयश्च श्री सुब्रह्मण्यभारती ।। 29 ।। दादाभाई नौरोजी, गोपबंधु दास, महात्मा गाँधी बाल
गंगाधर तिलक, महर्षि रमण, महामना मालवीय तथा सुब्रह्मण्य भारती आदरणीय हैं ।। 29 ।।

सुभाषः प्रणवानन्दः क्रान्तिवीरो विनायकः । ठक्करो भीमरावश्च फुले नारायणो गुरुः ।। 3011
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, प्रणवानन्द, क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर, ठक्कर बाप्पा, भीमराव अम्बेडकर, ज्योतिराव
फुले, नारायण गुरु तथा ।। 30 ।। संघशक्तिप्रणेतारौ केशवो माधवस्तथा ।
स्मरणीयाः सदैवैते नवचैतन्यदायकाः ॥ 31 ॥
संघ – शक्ति के प्रणेता प.पू केशवराव बलिराम हेडगेवार तथा माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर, हिन्दू समाज में नवीन चेतना प्रदान करने वाले महापुरुष सदैव स्मरणीय हैं ।। 31।।
अनुक्ता ये भक्ताः प्रभुचरणसंसक्तहृदयाः
अनिर्दिष्टा वीरा अधिसमरमुद्ध्वस्तरिपवः ।
समाजोद्धर्तारः सुहितकरविज्ञाननिपुणाः
नमस्तेभ्यो भूयात् सकलसुजनेभ्यः प्रतिदिनम् ॥ 32 ॥
प्रभुचरण में अनुरक्त रहने वाले अनेक भक्त जो शेष रह गए. देश की अस्मिता और अखण्डता पर प्रहार करने वाले शत्रुओं को युद्ध में परास्त करने वाले बहुत से वीर जिनके नामों का उल्लेख नहीं हो पाया, तथा अन्य समाजोद्धारक, समाज के हितचिन्तक तथा निपुण वैज्ञानिक एवं सभी श्रेष्ठजनों को प्रतिदिन हमारे प्रणाम समर्पित हों ।। 32 ।।
इदमेकात्मतास्तोत्रं श्रद्धया यः सदा पठेत् । स राष्ट्रधर्मनिष्ठावान् अखण्डं भारतं स्मरेत् ।। 33 ।।
इस एकात्मता स्तोत्र का जो सदा श्रद्धापूर्वक पाठ करेगा. राष्ट्रधर्म में निष्ठावान वह (व्यक्ति) अखण्ड भारत का स्मरण
करेगा ।। 33 ।।
।। भारत माता की जय ।।
एकात्मता मन्त्र
यं वैदिका मन्त्रदृशः पुराणा,
इन्द्रं यमं मातरिश्वानमाहुः । वेदान्तिनोऽनिर्वचनीयमेकं,
यं ब्रह्मशब्देन विनिर्दिशन्ति ॥ 1 ॥
शैवा यमीशं शिव इत्यवोचन्.
यं वैष्णवा विष्णुरिति स्तुवन्ति । बुद्धस्तथाऽर्हन्निति बौद्धजैनाः
सत् श्री अकालेति च सिक्खसन्तः ॥ 2 ॥
शास्तेति केचित् प्रकृतिः कुमारः, स्वामीति मातेति पितेति भक्तया ।
यं प्रार्थयन्ते जगदीशितारं, स एक एव प्रभुरद्वितीयः ॥ 3 ॥
वह प्रभु एक ही है
प्राचीन काल के मंत्रदृष्टा ऋषियों ने जिसे इन्द्र, यम, मातरिश्वन (पवन) कहकर पुकारा और जिस एक अनिर्वचनीय का वेदान्ती ब्रह्म- शब्द से निर्देश करते हैं। शैव जिसकी शिव और वैष्णव जिसकी विष्णु कह कर स्तुति करते हैं, बौद्ध और जैन जिसे बुद्ध और अर्हत् कहते हैं, तथा सिख संत जिसे सत् श्री अकाल कहकर पुकारते हैं। जिस जगत् के स्वामी को कोई शास्ता, तो कोई कुमारस्वामी कहते हैं, कोई जिसको स्वामी, माता, पिता कहकर भक्तिपूर्वक प्रार्थना करते हैं, वह प्रभु एक ही है और अद्वितीय है, अर्थात् उसका कोई जोड़ नहीं है।
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