
मातृभाषा_दिवस
“अंग्रेजी माध्यम से इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त करने वाले की तुलना में भारतीय भाषाओं के माध्यम से पढ़े छात्र, अधिक वैज्ञानिक अनुसंधान करते है”
– सी.वी.श्रीनाथ शास्त्री (भारतीय वैज्ञानिक)
राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है। –
महात्मा गाँधी
राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केन्द्र की डॉ नन्दिनी सिंह के अध्ययन (अनुसंधान) के अनुसार, अंग्रेजी की पढ़ाई से मस्तिष्क का एक ही हिस्सा सक्रिय होता है, जबकि हिन्दी की पढ़ाई से मस्तिष्क के दोनों भाग सक्रिय होते हैं।
डॉ नन्दिनी सिंह
सर आइजेक पिटमैन ने कहा है कि संसार में यदि कोई सर्वांग पूर्ण लिपि है तो वह देवनागरी है
पिटमैन
आज दुनिया के लगभग 170 देशों में किसी न किसी रूप में हिन्दी पढ़ायी जाती है। विश्व के 32 से अधिक देशों के विश्वविद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जा रही है। इंग्लैण्ड के सेंट जेम्स विद्यालय में 6 वर्ष तक संस्कृत पढ़ना अनिवार्य है।
gandi ji
पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम ने स्वयं के अनुभव के आधार पर कहा है कि ‘‘मैं अच्छा वैज्ञानिक इसलिए बना, क्योंकि मैंने गणित और विज्ञान की शिक्षा मातृभाषा में प्राप्त की” (धरमपेठ कॉलेज नागपुर)।
डॉ अब्दुल कलाम

पंडित मदन मोहन मालवीय अंग्रेजी के ज्ञाता थे। उनकी अंग्रेजी सुनने अंग्रेज विद्वान भी आते थे । लेकिन उन्होंने कहा था कि‘‘मैं 60 वर्ष से अंग्रेजी का प्रयोग करता आ रहा हूँ, परन्तु बोलने में हिन्दी जितनी सहजता अंग्रेजी में नहीं आ पा
पंडित मदन मोहन मालवीय
“विदेशी माध्यम ने बच्चों की तंत्रिकाओं पर भार डाला है, उन्हें रट्टू बनाया है, वह सृजन के लायक नहीं रहे| विदेशीभाषा ने देशी भाषाओं के विकास को बाधित किया है”
महात्मा गांधी
विश्व में सकल घरेलू उत्पाद में प्रथम पंक्ति के 20 देशों में सारा कार्य वह अपनी भाषा में ही कर रहे हैं, जिसमें चार देश अंग्रेजी भाषी है, क्योंकि उनकी मातृभाषा अंग्रेजी है।
महात्मा गांधी
पिछले 175 वर्षों की अंग्रेजी शिक्षा से देश को काफी नुकसान हो रहा है। बालकों के मस्तिष्क पर अंग्रेजी के कारण बोझ बढ़ा है। यह एक प्रकार से उन पर अत्याचार है। इस कारण से उनका विकास ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है। वे न तो ठीक से अंग्रेजी सीख पाते हैं और न ही मातृभाषा।
महात्मा गांधी
अपने देश की जनता में इस प्रकार की इच्छाशक्ति जागृत करने की। इसकी शुरूआत स्वयं से करनी पडे़गी। इस हेतु सभी स्थानों पर अपने हस्ताक्षर अपनी भाषा में करें। किसी भी भाषा में लिखें या बोलें तब ‘भारत‘ – शब्द का प्रयोग करें, इन्डिया का नहीं।
#मातृभाषा_दिवस
संस्कृत की विरासत हिन्दी को तो जन्म से ही मिली है। – राहुल सांकृत्यायन
#मातृभाषा_दिवस
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। – भारतेंदु हरिश्चंद्र
#मातृभाषा_दिवस
राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है। – अवनींद्रकुमार विद्यालंकार
#मातृभाषा_दिवस
सभी भारतीय भाषाओं के भाव एवं संस्कार देने वाले गुण समान हैं | भारतीय भाषाएँ ही शिक्षा एवं राज्यकार्य के व्यवहार का माध्यम होनी चाहिए |
#मातृभाषा_दिवस
मातृभाषा प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम हो | अत: मातृभाषा का शिक्षण इस ढंग से हो कि छात्र का उस पर अधिकार स्थापित हो सके|
#मातृभाषा_दिवस
संस्कृत ग्रन्थों में ज्ञान-विज्ञान भरा पड़ा है | भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, ज्योतिष, खगोल, औषधि, सैन्य विज्ञान-अर्थात् ज्ञान-विज्ञान की ऐसी कोई शाखा नहीं है जिसका भण्डार संस्कृत ग्रन्थों में उपलब्ध नहीं हो | #मातृभाषा_दिवस
#मातृभाषा_दिवस
गांधीजी ने संस्कृत भाषा के अध्ययन का समर्थन करते हुए कहा -“संस्कृत शिक्षा के बिना मैं किसी भी हिन्दू की शिक्षा अधूरी समझता हूँ”
#मातृभाषा_दिवस
विश्व में विगत 40 वर्षों में लगभग 150 अध्ययनों के निष्कर्ष हैं कि मातृभाषा में ही शिक्षा होनी चाहिए, क्योंकि बालक को माता के गर्भ से ही मातृभाषा के संस्कार प्राप्त होते हैं।
#मातृभाषा_दिवस

मातृभाषा दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में भाषायी और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता का प्रसार करना है। #मातृभाषा_दिवस
#मातृभाषा_दिवस
भाषा की मनुष्य के जीवन में अहम भूमिका है। भाषा के माध्यम से ही देश ही नहीं बल्कि विदेशों के साथ संवाद स्थापित किया जा सकता है।
#मातृभाषा_दिवस
“भारत के लिए एक बड़ी ही मशहूर कहावत है कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी… ये कहावत मातृभाषा की महत्ता समझाने के लिए पर्याप्त है।
#मातृभाषा_दिवस
दुनिया की 10 सर्वाधिक बोले जानी वाली भाषाओं में जापानी, अंग्रेजी, रूसी, बंगाली, पुर्तगाली, अरबी, पंजाबी, मैंडारिन, हिंदी और स्पैनिश है।
#मातृभाषा_दिवस
तमिलनाडु, मिजोरम, नागालैण्ड आदि अब इन राज्यों में भी हिन्दी बोलने-सिखाने हेतु हिन्दी स्पीकिंग क्लासेस बड़ी मात्रा में प्रारंभ हुए हैं।
#मातृभाषा_दिवस
मां, मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं हो सकता है|
#मातृभाषा_दिवस
अरूणाचल राज्य की एक प्रकार से राजभाषा हिन्दी है तथा नागालैण्ड राज्य ने द्वितीय राजभाषा करके हिन्दी को मान्यता दी है।
#मातृभाषा_दिवस
मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देश प्रेम की भावना उत्प्रेरित करती है|
#मातृभाषा_दिवस
मातृभाषा ही सबसे पहले इंसान को सोचने-समझने और व्यवहार की अनौपचारिक शिक्षा और समझ देती है।
#मातृभाषा_दिवस
मातृभाषा के लिए बलिदान देने वालों की स्मृति में वर्ष 1999 से यूनेस्को ने 21 फरवरी को अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाना प्रारंभ किया|
#मातृभाषा_दिवस
यूनेस्कों के अनुसार भाषा मात्र सम्पर्क, शिक्षा या विकास का माध्यम न होकर व्यक्ति की विशिष्ट पहचान है तथा उसकी संस्कृति, परम्परा एवं इतिहास का कोश है, साथ ही सांस्कृतिक मूल्यों की विरासत को संजोने का कार्य मातृभाषा ही करती है |
Bhasha Diwas
पीपल्स लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया के वर्ष 2013 के अनुसार देश में 780 भाषाएं हैं. पिछले 50 वर्ष में 220 से अधिक भाषाएं विलुप्त हो चुकी हैं तथा 197 लुप्तप्राय होने के कगार पर हैं|
Bhasha
मातृभाषा सीखने, समझने एवं ज्ञान की प्राप्ति में सरल है।
#मातृभाषा_दिवस
विश्व के आर्थिक एवं बौद्धिक दृष्टि से सम्पन्न जैसे अमरीका, रशिया, चीन, जापान, कोरिया, इंग्लैण्ड , फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, इजरायल आदि देशों में जन समाज, शिक्षा एवं शासन-प्रशासन की भाषा वहां की अपनी भाषा है।
#मातृभाषा_दिवस
विश्व में सकल घरेलू उत्पाद में प्रथम पंक्ति के 20 देशों में सारा कार्य वह अपनी भाषा में ही कर रहे हैं, जिसमें चार देश अंग्रेजी भाषी है, क्योंकि उनकी मातृभाषा अंग्रेजी है। – वरिष्ठ वैज्ञानिक संक्रात सानू #मातृभाषा_दिवस
श्रीनिवास रामानुजन,
मातृभाषा के माध्यम से शिक्षण की दशा में छात्र का ज्ञान ,प्रस्तुति कौशल एवं समग्र आदि सभी बेहतर होते है|
अब्दुल कलाम
यूनेस्कों वियतनाम के एक अध्ययन के अनुसार छात्र का शैक्षणिक अभिलेख एवं वियतनामी भाषा सीखने की गति तब अच्छी होती है, जब उन्हें अपनी मातृभाषा में पढ़ाया जाता है|
#मातृभाषा_दिवस
बहुभाषिक शिक्षा अर्थात शिक्षण हेतु माध्यम के रूप राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय भाषा के उपयोग के साथ-साथ मातृभाषा के अनिवार्यत उपयोग पर भी बल दिया है|
#श्रीनिवास रामानुजन
समय-समय पर गठित शिक्षा आयोगों तथा राधाकृष्णन आयोग, कोठारी आयोग आदि ने भी मातृभाषा में ही शिक्षा देने की अनुशंसा की है|
#मातृभाषा_दिवस
भारत के ख्याति प्राप्त अधिकतर वैज्ञानिकों ने अपनी शिक्षा मातृभाषा में ही प्राप्त की है। जिसमें प्रमुख रूप से जगदीश चन्द्र बसु, श्रीनिवास रामानुजन, डॉ अब्दुल कलाम आदि।
श्रीनिवास रामानुजन, डॉ अब्दुल कलाम
वर्तमान में विभिन्न राज्यों की बोर्ड की परीक्षाओं में उच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी, मातृभाषा में पढ़ने वाले ही अधिक हैं।
महात्मा गांधी
‘‘बच्चों के मानसिक विकास के लिए मातृभाषा उतनी ही आवश्यक है जितना शारीरिक विकास के लिए माँ का दूध’’ –
महात्मा गांधी
पिछले 175 वर्षों की अंग्रेजी शिक्षा से देश को काफी नुकसान हो रहा है। बालकों के मस्तिष्क पर अंग्रेजी के कारण बोझ बढ़ा है। यह एक प्रकार से उन पर अत्याचार है। इस कारण से उनका विकास ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है। वे न तो ठीक से अंग्रेजी सीख पाते हैं और न ही मातृभाषा।
जगन्नाथप्रसाद मिश्र
“हिंदी के ऊपर आघात पहुँचाना हमारे प्राण धर्म पर आघात पहुँचाना है।” –
जगन्नाथप्रसाद मिश्र
“जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।” – भारतरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद
#मातृभाषा_दिवस
“विश्व में सकल घरेलू उत्पाद में प्रथम पंक्ति के 20 देश सारा कार्य अपनी मातृभाषा में ही करते हैं”- डॉ. सक्रांत सानू (माइक्रोसॉफ्ट के सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक)
#मातृभाषा_दिवस
“शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है।”
– शिवप्रसाद सितारेहिंद
मातृभाषा_दिवस

अधिक जानकारी के लिए आप आधिकारिक वैबसाइट पर जाकर भी प्राप्त कर सकते है उसके लिए यहाँ क्लिक करे http://rss.org हमारे पोर्टल के माध्यम से भी प्राप्त कर सकते है https://rsssangh.in
1 thought on “मातृभाषा_दिवस : Hindi Tweets”