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गणगीत

राष्ट्रोदय बीत

गीत

राष्ट्रोदय बीत

विश्व गगन पर फिर से गूंजे, भारत माँ की जय जय जया बढ़ते आयें हो निर्भय, बढ़ते जायें हो निर्भय ।।

कालजयी है चिन्तन अपना, सभी सुखी हों एक ही सपना। जगती है परिवार हमारा, जगती है परिवार हमारा चमकें अपना शील विनय, बढ़ते जायें हो….

अपनी शक्ति को प्रकटाएं, स्नेहामृत पल-पल छलकाएँ। भेद अभावों को हरना है, भेद अभावों को हरना है।। मंगलमय नव अरुणोदय, बढ़ते जायें हो…

सृष्टि की समझें रचनाएँ, सम्यक् विकास पथ अपनाएँ । वायु, जल, भूमि तत्त्वों को, वायु, जल, भूमि तत्त्वों को सदा रखेंगे तेजोमय, बढ़ते जायें हो…..

जीवन व्रत यह चले अखण्डित, तन-मन-धन सर्वस्व समर्पित। जगत् गुरु सिंहासन सोहे, जगत् गुरु सिंहासन सोहे।। गौरव महिमा हो अक्षय, बढ़ते जायें हो…

विश्व गगन पर फिर से गूँजे, भारत माँ की जय जय जय। बढ़ते जायें हो निर्भय, बढ़ते जायें हो निर्भय।।

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