
खुदीराम बोस जी का संझिप्त परिचय
खुदीराम बोस(जन्म 03 दिसम्बर1889 – मृत्यु : 11 अगस्त 1908 )
महान क्रांतिकारी ‘खुदीराम बोस’ का पूरा नाम खुदीराम त्रिलोकनाथ बोस था। उनका जन्म बंगाल के मिदनापुर जिले के बहुवैनी नामक गांव में 3 दिसम्बर 1889 को हुआ था। उनकी माता का नाम लक्ष्मीप्रिया देवी एवं पिता का नाम त्रिलोकनाथ बोस था। देश के लिये फाँसी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के ज्वलन्त तथा युवा क्रान्तिकारी देशभक्त थे।
‘खुदीराम’ लिखी धोती पहनने लगे नौजवान:
खुदीराम को आजादी हासिल करने की ऐसी लगन लगी कि नौवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़कर वह स्वदेशी आंदोलन में कूद पड़े। इसके बाद वह रिवोल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने और वंदेमातरम लिखे पर्चे वितरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में चले आंदोलन में भी उन्होंने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के चलते 28 फरवरी 1906 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन वह कैद से भाग निकले। लगभग दो महीने बाद अप्रैल में वह फिर से पकड़े गए। 16 मई 1906 को उन्हें रिहा कर दिया गया।
छह दिसंबर 1907 को खुदीराम ने नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया परंतु गवर्नर बच गया।
सन 1908 में खुदीराम ने दो अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर बम से हमला किया लेकिन वे भी बच निकले। खुदीराम बोस मुजफ्फरपुर के सेशन जज किंग्सफोर्ड से बेहद खफा थे जिसने बंगाल के कई देशभक्तों को कड़ी सजा दी थी।
उन्होंने अपने साथी प्रफुल चंद चाकी के साथ मिलकर किंग्सफोर्ड को सबक सिखाने की ठानी। दोनों मुजफ्फरपुर आए और 30 अप्रैल 1908 को सेशन जज की गाड़ी पर बम फेंक दिया लेकिन उस गाड़ी में उस समय सेशन जज की जगह उसकी परिचित दो यूरोपीय महिलाएं कैनेडी और उसकी बेटी सवार थीं।
किंग्सफोर्ड के धोखे में दोनों महिलाएं मारी गईं जिसका खुदीराम और प्रफुल चंद चाकी को काफी अफसोस हुआ। अंग्रेज पुलिस उनके पीछे लगी और वैनी रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया। अपने को पुलिस से घिरा देख प्रफुल चंद चाकी ने खुद को गोली से उड़ा लिया जबकि खुदीराम पकड़े गए।
मुजफ्फरपुर जेल में 11 अगस्त 1908 को उन्हें फाँसी पर लटका दिया गया। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 19 साल थी। देश के लिए शहादत देने के बाद खुदीराम इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे एक खास किस्म की धोती बुनने लगे।
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11 August
#मैं_भी_खुदीराम_बोस
- मात्र 19 साल की अल्प आयु में देश की आज़ादी के लिए फांसी के फंदे पर झूलने वाले अमर शहीद खुदीराम बोस के बलिदान दिवस पर शत्-शत् नमन। #मैं_भी_खुदीराम_बोस
- भारत के सबसे कम उम्र के युवा क्रांतिकारी नेअपनी मातृभूमि की रक्षा लिएअपने प्राण न्योछावर करने वालेअमर शहीद खुदीराम बोस के बलिदान दिवस पर नमन। #मैं_भी_खुदीराम_बोस
- ‘खुदीराम’ लिखी धोती पहनने लगे नौजवान , अमर शहीद खुदीराम बोस के बलिदान दिवस पर शत्-शत् नमन। #मैं_भी_खुदीराम_बोस
- हाथ में गीता, सीने में देशभक्ति…और फांसी चढ़ गया वह 19 साल का लड़का (खुदीराम बोस), अमर शहीद खुदीराम बोस के बलिदान दिवस पर शत्-शत् नमन। #मैं_भी_खुदीराम_बोस
- 12 अगस्त 1908 के अखबारों ने छापा कि ‘कल सुबह 6 बजे उसे फाँसी दे दी गई। वह फाँसी के फंदे तक झूमता हुआ आया। उसका चेहरा खिला हुआ था और वह मुस्कुराता हुए फाँसी पर चढ़ गया।’ स्वतंत्रता संग्राम के उस निडर महानायक शहीद खुदीराम बोस जी के बलिदान दिवस पर शत्-शत् नमन। #मैं_भी_खुदीराम_बोस
- शत् शत् नमन महानायक शहीद खुदीराम बोस जी आपका ये देश सदैव कर्जदार रहेगा #मैं_भी_खुदीराम_बोस
- कोटि-कोटि नमन। मात्र 18 वर्ष की आयु में मातृभूमि के लिए शहीद होने वाले खुदीराम बोस जी को देश सदैव याद रखेगा। जय हिंद। #मैं_भी_खुदीराम_बोस
- अमर शहीद खुदीराम बोस जी का नाम अमर रहेगा #मैं_भी_खुदीराम_बोस
- खुदीराम बोस जी को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। कुछ दिनों बाद उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। समस्तीपुर की भूमि उनकी स्वतंत्रता संघर्षों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। युवावस्था में ही उनकी शहादत, त्याग और बलिदान को देश हमेशा याद रखेगा। #मैं_भी_खुदीराम_बोस
- अमर शहीद खुदीराम बोस का 11 अगस्त को शहादत दिवस पर शत्-शत् नमन। #मैं_भी_खुदीराम_बोस
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