Skip to content

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अध्ययन

Menu
  • होम
  • About US परिचय
  • संघ के सरसंघचालक
    • Terms and Conditions
    • Disclaimer
  • शाखा
  • संघ के गीत
  • एकल गीत
  • गणगीत
  • प्रार्थना
  • सुभाषित
  • एकात्मतास्तोत्रम्
  • शारीरिक विभाग
  • बोद्धिक विभाग
  • अमृत वचन
  • बोधकथा
    • बोधकथा
      • बोधकथा
        • प्रश्नोत्तरी
  • RSS संघ प्रश्नोत्तरी
  • डॉ० केशवराम बलिराम हेडगेवार जीवन चरित्र (प्रश्नोत्तरी)
    • डॉ केशव बलिराम हेडगेवार : Hindi Tweets
    • मातृभाषा_दिवस : Hindi Tweets
    • श्री गुरुजी: Hindi Tweets
  • गतिविधि
  • सम्पर्क सूत्र
  • Contact Us
Menu

बोद्धिक विभाग

संघ का बोद्धिक विभाग

संघ के इस विभाग के माध्यम से सभी को बोधकथा एवं सच्ची घटनाओं के माध्यम से स्वयंसेवकों को बोद्धिक दिया जाता है और इसके अंतर्गत शाखाओ में बोधिक खेल भी खेले जाते है जिससे प्रत्येक स्वयंसेवक का बोद्धिक विकास दर अधिक मात्रा में विकास हुआ निम्नलिखित बोद्धिक हम आपको इस पेज के माध्यम से देने का प्रयास करेगे यदि कोई लिखने में त्रुटी हुए तो क्षमा करे . धन्यवाद ! #बोद्धिक विभाग

संघ के बोद्धिक विभाग सम्बन्धित विचार और सुविचार

बोद्धिक विभाग

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 100 वर्षों तक चलने के लिए नही बना है। । अपितु संघ को एक सशक्त समाज का निर्माण करना है जो अपनी समस्याओं का निराकरण स्वयं ही कर सके किसी पर आश्रित न हो। संघ अपनी गतिविधि एवं प्रकल्पों के माध्यम से इस राष्ट्र को परमवैभव के मार्ग पर ले जाने हेतु प्रयासरत है।#बोद्धिक विभाग

बोद्धिक विभाग
सम्पूर्ण समाज,सम्पूर्ण राष्ट्र और इसका कण-कण मेरा है।वैचारिक परिवर्तन लाने के लिए समाज के प्रत्येक घटक में अपनी भूमि, अपने समाज,अपनी परम्परा और अपने राष्ट्र के प्रति उत्कृष्ट प्रेम जागृत करना पड़ेगा। जितने विपरीत संस्कार हैं,उन्हें अन्त:करण से उखाड़कर फेंकना होगा।#बोद्धिक विभाग

संघ के बौद्धिक विभाग के अंतर्गत बोद्धिक योजना

(क) स्मरण करणीय#बोद्धिक विभाग

  1. गीत :शाखा में गीत नित्य हो, प्रयत्न रहे कि मास के अंतिम सप्ताह में गीत सांघिक हो। स्वयंसेवकों को गीत का अर्थ बताना। बौद्धिक वर्ग से पूर्व का काव्य (एकल) गीत कण्ठस्थ करके गाना ।
  1. प्रार्थना: सभी स्वयंसेवकों को प्रार्थना कण्ठस्थ होनी चाहिये। प्रार्थना का अर्थ बताना उच्चारण शुद्ध कराना। प्रार्थना कहलाने वाले स्वयंसेवकों का एक सच खड़ा करना चाहिये।
  1. सुभाषित सुदीर्घ अनुभव तथा चिन्तन को सूक्ष्म रूप से संस्कृत अथवा अपनी भाषा में पढ़ में व्यक्त करना सु-भाषित कहलाता है।#बोद्धिक विभाग
  1. अमृतवचन-अमृत वचन (अमरवाणी) जो महापुरुष अमर हो चुके ऐसे अमृतों (अमर) की वाणी । चिरन्तन शाश्वत विचार अर्थात् अमर-वचन ।
  2. एकात्मता स्तोत्र :#बोद्धिक विभाग
  3. एकात्मता मंत्र :#बोद्धिक विभाग
  4. भोजन मंत्र :#बोद्धिक विभाग
  5. गणगीत- मास में प्रतिदिन, प्रारम्भ में 15 दिन कण्ठस्थ करना । अन्त के 15 दिनों में सांघिक (एक साथ) दोहरा- ना, मास में एक बार गीत का भावार्थ भी बताना ।#बोद्धिक विभाग
  6. सुभाषित, अमृत वचन 15 दिन सुभाषित एवं 15 दिन अमृत वचन, प्रारम्भ के 6 दिन कण्ठस्थ कराना तथा अंत के 6 दिनों में सांघिक बोलना, 15-15 दिनों में एक बार सुभाषित एवं अमृत वचन का सन्दर्भ व भावार्थ भी बताना ।
  7. विशेष- सुभाषित अथवा अमृत वचन शाखा विकिर के समय संख्या एकत्र करते समय नहीं बोलना चाहिये, क्योंकि उस समय शाखा पर उपस्थित सभी स्वयंसेवकों का सहभाग नहीं हो पाता हैं।
  8. सुभाषित संस्कृत के अतिरिक्त अन्य महापुरूषों के भी हो। सकते है। अमृत वचन स्थानीय दिवंगत महापुरूषों का भी हो सकता है।#बोद्धिक विभाग
  9. बोधकथा- मास में प्रतिदिन, शाखा में आने वाले प्रत्येक स्वयंसेवक को मास के प्रारम्भ में ही एक-एक बोध कथा / प्रेरक प्रसंग देना अपेक्षित है। बाद में उनको बोध कथा बोलने की दिनांक निश्चित कर बताना जिस दिन वह बिना देखे अपने शब्दों में बोध कथा बोल सकें।
  10. बौद्धिक उपक्रम- स्वंयसेवक की जानकारी समझदारी व कल्पकता आदि बढ़ाने के लिए आवश्यक तथा समाज के लिये हिन्दुत्व व संघ की जानकारी समझदारी व सक्रियता के लिये आवश्यक- सामूहिक गीत/सुभाषित / अमृत वचन, बोधकथा प्रतियोगिता । विविध विषयों पर प्रश्नोत्तरी प्रश्न मंच प्रतियोगिता ।#बोद्धिक विभाग
  11. निबन्ध, मानचित्र परिचय, महापुरूषों के विविध संदर्भों पर
  12. प्रतियोगिता कहानी सप्ताह, वक्तृत्व कला / संघ व समाज का व्यवहारिक ज्ञान (संघ व शाखा की प्रारम्भिक जानकारियाँ, प. पू. सर- संघचालकों के नाम व संक्षिप्त जानकारी, उत्सव एवं कार्यक्रमों की हिन्दू तिथियाँ आदि, संघ का पूरा नाम तथा उसमें प्रयुक्त शब्दों की संक्षिप्त व्याख्या आदि। समाज की जानकारी ऋतुएं, मास, पक्ष तिथियाँ सम्वत्, युगाब्द, पंचाग आदि।)#बोद्धिक विभाग
  13. बौद्धिक शिक्षण प्रमुखों द्वारा करणीय कार्य • जिला बौद्धिक टोली-जिला बौद्धिक शिक्षण प्रमुख द्वारा अपने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं (मा० जिला संघचालक जी / कार्य वाह/ प्रचारक जी से चर्चा/ परामर्श कर निर्धारित प्रारूप में जिला बौद्धिक टोली तैयार करना/ बनाना टोली के कार्य- कर्ताओं का वर्तमान में उपलब्ध बौद्धिक शिक्षण प्रमुखों व अन्य दायित्व वाले कार्यकताओं / पूर्व में दायित्व पर रहे कार्यकर्ताओं का शत प्रतिशत कार्यकताओं में से करना अपेक्षित है।)
  14. टोली के कार्यकर्ता माननीय संघचालक/कार्यवाह/प्रचारक में से एक जिसको टोली ने निश्चित किया हो। बौद्धिक शिक्षण प्रमुख यदि है तो, सह बौद्धिक शिक्षण प्रमुख यदि है तो शारीरिक शिक्षण प्रमुख, प्रार्थना, मानचित्र परिचय, बड़ी कथा कहानी, समाचार समीक्षा, इंटरनेट जानकार, गीत संकलन आदि।
  15. विधाशः टोली- टोली की प्रत्येक विधा के कार्यकर्ताओं की 4/5 बन्धुओं / स्वयंसेवकों की टोली बनाकर नियमित समय पर उसका प्रशिक्षण व अभ्यास कराना, प्रारम्भ करना।
  16. विधा प्रमुख को उनके विषय का साहित्य उपलब्ध करवाना व पढ़ने को प्रोत्साहित करना।
  17. अभ्यास वर्ग- शारीरिक प्रमुखों के साथ मिलकर अभ्यास वर्गों की योजना स्वंय बनाना अभ्यास के लिए विषय कार्यकर्ता निश्चित करना। अभ्यास वर्गों का पाठ्कम निश्चित करना।
  18. बौद्धिक प्रमुख :- अपनेअपने जिले में प्रत्येक इकाई पर
  19. बौद्धिक शिक्षण प्रमुखों को नियुक्त करना।
  20. मासिक बौ. प्रमुखों का वर्ग-जिलों में जिला केन्द्रों व महा नगरों में भाग केन्द्रों पर उत्सवों के अतिरिक्त प्रत्येक माह एक विषय (सगंठन के आधार भूत, समसामायिक तथा हिन्दुत्व से सम्बन्धित विषयों) पर, निश्चित कर लगभग डेढ़-दो घंटे का मासिक प्रबोधन वर्ग हों। इस वर्ग के कारण विभिन्न विषयों समय विषय प्रस्तुति तथा शेष समय में विषय पर चर्चा, प्रश्नो उत्तर तथा समापन होना अपेक्षित हैं। इस वर्ग में 40 वर्ष से कम आयु के जिला विभाग के संघ कार्यकर्ता, गतिविधियों के एवं विविध संगठनों के योग्य सक्षम प्रशिक्षित कार्यकर्ता/ जिन पर पूर्व में संघ टोली अथवा संगठन श्रेणी के कार्य विभाग का दायित्व रहा हो को जिला/ विभाग कार्यवाह/ प्रचारकों के साथ बैठकर सूचीबद्ध करना। वर्ग की अधिकतम संख्या 25 / 30 रहनी चाहियें।
  21. प्रवासी कार्यकताओं द्वारा करणीय कार्य – साप्ताहिक बौद्धिक दिवस पर होने वाले बौद्धिक विषयों का क्रियान्वयन ।
  22. मासिक बौद्धिक वर्ग- वर्ष भर के लिए विषय निश्चित करना। प्रत्येक मास के विषय को तैयार करके रखना। 12 विषय वर्ष के प्रारम्भ में निश्चित होने चाहिये।
  23. बड़ी कथा कहानी- बड़ी कथा कहानी के लिये भी प्रत्येक मास के विषय निश्चित होने चाहियें।
  24. समाचार समीक्षा- अपना स्वंयसेवक अच्छा विश्लेषक बने इसलिये मास में एक बौद्धिक दिवस पर निश्चित विषय पर समीक्षा होनी चाहिये। वर्ष में 2 बार (प्रारम्भ के 6 मास तथा
  25. जिज्ञासा समाधान वर्ष में दो बार किसी योग्य एवं सक्षम सक्षमकार्यकर्ता की उपस्थिति में जिज्ञासा समाधान का कार्यक्रम होना चाहिये।

(ख) पारस्परिक विभाग प्रश्नोत्तरी- किसी एक अथवा विविध विषयों पर यह कार्यक्रम हो सकता है। चर्चा- सभी स्वयंसेवक इस कार्यक्रम में भाग लें। प्रश्न मंच- एक अथवा अनेक विषयों पर अनेक प्रश्न तैयार करके स्पर्धा करना। (विद्याभारती द्वारा प्रकाशित ‘संस्कृति ज्ञान परीक्षा’ तथा सुरुचि द्वारा प्रकाशित भारत परिचय प्रश्न मंच’ जैसी पुस्तिकाएं उपयोगी)

(ग) एक पक्षीय विभाग एक पक्षीय विषयों में प्रवचन कथाएँ एवं बौद्धिक वर्ग आदि। इन विषयों की पूर तैयारी करनी चाहिये।

(घ) समाचार समीक्षा : मास में एक दिन शाखा में यह विषय लें। सम-सामयिक घटनाओं उनकी पृष्ठभूमि एवं सामाजिक-राजनैतिक राष्ट्रीय प्रभाव के बारे में जानकारी व विश्लेषण। इस कार्यक्रम को शाखा पर ठीक प्रकार से लेने के लिये शाखा के किसी स्वयंसेवक को इस हेतु नियत करना उपयोगी। वह स्वयंसेवक समाचार पत्र-पत्रिकाओं को पढ़े तथा उपयुक्त समाचार लेख आदि जिनसे स्वयंसेवकों में राष्ट्रबोध, सामाजिकता, हिन्दुत्व के प्रति गौरव, हिन्दुत्व के समक्ष चुनौतियाँ आदि विषयों की स्पष्टता हेतु प्रमुख मुद्दों का संकल्प करें। सामान्यतः सम्पादकीय लेखों तथा पत्रिकाओं में से समाचारों की पृष्ठभूमि प्राप्त होती है। इस दृष्टि से पाञ्चजन्य, आर्गेनाइजर, जागरण पत्रिकाएं विशेष उपयोगी हैं। समय-समय पर यह स्वयंसेवकों अथवा प्रवासी कार्यकर्ता स्वयंसेवकों के समक्ष समाचारों की समीक्षा प्रस्तुत कर सकते हैं, जिसका स्वाभाविक परिणाम अपेक्षित है कि स्वयंसेवकों को समाचार पढ़ने की दृष्टि मिले।

(ङ) श्रेणी बैठकें भाषा में विद्यार्थियों में कक्षा-समूहों के अनुसार तथा व्यवसायी बंधुओं में व्यवसाय अथवा व्यवसाय समूहों के अनुसार शाखा समय के अतिरिक्त समय में बैठकें रखना। इन बैठकों में ( अमर ) विषय प्रतिपादन के साथ-साथ प्रश्नोत्तर भी रखे जा सकते हैं। स्वयंसेवकों के साथ ही उनके मित्रों को भी आमंत्रित किया जा सकता है। इस प्रकार इन बैठकों का उपयोग जन प्रबोधन के साथ ही नई भर्ती के लिये भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

क्रियान्वयन की दृष्टि से-अपेक्षा है कि गीत तथा अमृतवचन अथवा सुभाषित शाखा पर नित्य कराए जाएँ (अनिवार्य कार्यक्रम)। इनके अतिरिक्त कंठस्थ विभाग के अन्य कार्यक्रमों का अभ्यास एवं र्वा करना कथा-कहानी का क्रियान्वयन मुख्यतः शाखा टोली के कार्यकर्ता करें। शेष कार्यक्रमों को भारत में ज्यादा अनुभव की आवश्यकता होती है, अतः प्रवासी कार्यकर्ताओं के द्वारा कराये। सकते हैं। किस कार्यकर्ता के प्रवास के समय कौन-सा विषय लिया जा सकता है तथा शाखा पर मास भर में क्या-क्या कार्यक्रम लिए जाएँ, इस दृष्टि से प्राप्त होने वाली बौद्धिक -की पूस्तका (पत्रक) का उपयोग करते हुए शाखा कार्यकर्ता साप्ताहिक-पाक्षिक मासिक योजना निर्धारित करें।

बोद्धिक विभाग की अधिक जानकारी के लिए आप संघ की आधिकारिक वैबसाइट से ले सकते है http://rss.org आप हमारे पोर्टल से भी प्राप्त सकते है https://rsssangh.in और आप बोद्धिक विभाग सुभाषित

संघ के कुछ

  • Health Tips
  • RSS News
  • RSS संघ प्रश्नोत्तरी
  • Tweets RSS
  • अम्रतवचन
  • आज का पंचांग
  • गीत ,गणगीत , बालगीत और एकलगीत
  • बोधकथा
  • भारत की महान विभूतियाँ
  • महाभारत
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस)
  • शाखा
  • संघ उत्सव
  • संघ शिक्षा वर्ग
  • सर संघचालक
  • सुभाषित
  • स्मरणीय दिवस
  • स्वामी विवेकानन्द
© 2025 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अध्ययन | Powered by Minimalist Blog WordPress Theme