
हिन्दू साम्राज्य दिवस क्यों मनाये ? हिन्दू साम्राज्य दिवस पर बोद्धिक क्या दे ?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में मकर संक्रान्ति, गुरुपूजा विजयदशमी ऐसे साधारणतः अपने समाज में मनाये जाने वाल मनाते है। परन्तु यह हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव का ऐसा उत्सव है जो समाज में साधारणतः मनाया नहीं जाता। कई लोगो को तो इस बात का पता भी नहीं है कि इतिहास में ऐसा महोत्सव मनाने लायक कोई प्रसंग भी आया है। #हिन्दू साम्राज्य दिवस
सर्वसाधारण रीति से हम देखते हैं कि प्रत्येक समाज का किसी संगठन को समय-समय पर किसी न किसी विशेश कार्यक्रमों, समारोहों या उत्सव की आवश्यकता होती है। इनका क्या स्वरूप होगा, यह संगठन की प्रकृति पर निर्भर करता है। अतः संघ ने उसी प्रकार के उत्सव निश्चित किये हैं जिनके द्वारा वह समाज में जिस भाव को उत्पन्न करना चाहता है।
उत्सव केवल इसलिए नहीं मनाये जाते कि उनसे चार लोग एक जगह एकत्र होते. हैं। कुछ आनन्द मनाने के लिए या खान-पान के लिए, उत्सव नहीं मनाये जाते। उत्सव में सबसे महत्व की बात यह है कि वह ऐसा हो जो हमारे विचार भावना और तत्वज्ञान को जाग्रत कर सके। अपने संघ के उत्सव हम देखें। प्रत्येक उत्सव में ऐसा कोई न कोई विचार अवश्य है जो संगठन के लिए अति उपयोगी एवं अनुकूल है।#हिन्दू साम्राज्य दिवस
अपने आज के उत्सव के बारे में हम सोचें। इस उत्सव का ज्ञान बहुत कम लोगों को है। ऐसे उत्सव से संघ कौन सा विचार जगाना चाहता है। समाज में? तो आज का उत्सव इसलिए है कि 344 वर्ष पूर्व एक ऐसा राज्याभिषेक हुआ था जिससे उस समय की सारी परिस्थिति बदल गयी। हिन्दू समाज के लिए उस समय विपरीतता की पराकाष्ठा थी।
बड़े-बड़े विद्वान, शूरवीरों के दिमाग में यह विचार भी नही आता था कि इ परिस्थिति को बदला जा सकता है। अनेक वर्षों से ऐसी ही परिस्थिति रह के कारण उसे बदलने की किसी की इच्छा ही नहीं रह गई थी। समाज में यह विचार था कि यही स्थिति चलने वाली है। शासन करना या राजा बनना हिन्दुओं का काम नही। राज्य करना यह तो मुसलमानों का ही काम है।
हिन्दू राजा नही बन •सकता और चाहे कुछ भी, मन्त्री, सेनापति कुछ भी ऊँची नौकरी कर सकता है। समाज के सब लोगों की सामान्य भावना का सर्वदूर यही हाल था। #हिन्दू साम्राज्य दिवस शिवाजी महाराज ने अगर कोई कार्य किया, यदि कोई उनकी विशेषता, श्रेष्ठता है तो वह यह कि उन्होने इस भावना को जड़मूल से नष्ट कर दिया।
यदि हमें ठीक प्रकार से अपने मार्ग पर चलना है तो यह आवश्यक है कि हम शिवाजी जैसे महापुरूषों का स्मरण करें जिन्होने इतिहास का निर्माण किया है। यह अवसर है हम उन्हे याद करें। यह उत्सव जिसके नाम से जुड़ा है उन शिवाजी महाराज का जीवन देखें।#हिन्दू साम्राज्य दिवस
केवल शिवाजी के जीवन के बारे में कुछ जान लेना, कब जन्म हुआ? कौन-कौन से काम किए? इन सबकी सूची बनाना इतना ही तो इतिहास पढ़ने का मतलब नहीं है इतने मात्र से अपना अर्थ पूरा नही होता है हां, उनके जीवन में हुए अनेक प्रसंगों का स्मरण करना आवश्यक है। और शिवाजी महाराज के जीवन में तो ऐसे सैकड़ों प्रसंग है
कि यदि उनमें से एक भी किसी व्यक्ति के जीवन में हो तो उनका जीवन धन्य हो जाये। इतिहास में सबसे अधिक प्रसंग उनके जीवन में मिलते हैं। परन्तु इन संघर्श-विजयी के प्रसंगों के अतिरिक्त प्रमुखरूप से हमे यह देखना है कि शिवाजी ने क्या सिद्ध किया? तो उन्होने यह प्रत्यक्ष कर दिया कि जिनको सारी दुनिया ही क्या, उनके पिताजी भी असम्भव मानते थे, उस तक को सम्भव कर दिया, समाज की, बिखरी अवस्था को साधारण व्यक्तियों को एकत्र कर संगठित करके साम्राज्य की स्थापना की अपना राज्याभिशेक किया सब अत्यंत कठिन परिस्थितियों में उन्होने किया। #हिन्दू साम्राज्य दिवस आज लोग
परिस्थिति की विपरीतता की बात करते समय की परिस्थिति और ज्यादा जटिल थी। सभी बातें भी शत्रु शासन करते थे वे इसी प्रकार से शक्तिशाली थे। परन्तु उस सगम शिवाजी महाराज ने ऐसा काम किया जिससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।#हिन्दू साम्राज्य दिवस
एक बात है जिसकी वजह से हम शिवाजी को विशेष भाव करते हैं। जबकि कुछ लोग अपने ध्येय के लिए जूझते रहे पर विजय प्राप्त नही कर पाये। जीवन भर लड़ते रहें यानी संघर्ष ही उनकी विशेषता रह शिवाजी महाराज ने सब प्रकार का संघर्ष करते हुए भी अपने जीवन में विजय ही प्राप्त की। अपने ध्येय को पूर्ण किया। अतः दो प्रमुख कारणों से हम शिवाजी महाराज का नाम याद करते हैं। प्रथम तो प्रतिकूल परिस्थिति में संघर्ष कर समाज की भावना बदली तथा दूसरी बात अपने ध्येय की प्राप्ति की।#हिन्दू साम्राज्य दिवस
प्रदीर्घ आत्मविस्मरण के कालखण्ड को भेवकर स्पष्ट शब्दों में महाराज छत्रपति शिवाजी ने यह घोषणा गुंजाई कि भारत का शुद्ध राष्ट्र जीवन हिन्दू जीवन है और हिन्दवी स्वराज्य की पुनः संस्थापना उनका मूल उद्देश्य है।#हिन्दू साम्राज्य दिवस
अत्यंत निराशाजनक परिस्थिति में स्वदेश तथा स्वधर्म की स्वतंत्रता एवं सुरक्षा का कंकण बाँध कर शिवाजी ने देश-प्रेम अतुल प्रतिभा विजिगीशु राजनीति असाधारण साहस तथा दृढ़ निश्चय के बल पर परकीय सत्ता को आह्वान दिया। अपने कर्त्तव्य से विजय की अक्षुण्ण परम्परा निर्माण कर हिन्दवी स्वराज्य का स्वप्न साकार किया और अन्त में अपना राज्याभिषेक करवाया। उस राज्याभिषेक का ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी का यह दिन हैं हिन्दू सम्राट का वैभवशाली सिंहासन पुनः एक बार निर्माण कर उन्होने संसार को दिखा दिया कि हिन्दू सभी दृष्टि से श्रेष्ठ, स्वतंत्र, स्वय शासक होने का पात्र है। इसीलिए राष्ट्रीय चारित्रय तथा हिन्दुओं की अस्मिता का पूंजीभूत आविष्कार करने वाले ऐतिहासिक महापुरूष व विजयशाली आदर्श इस दिन हम अपने सम्मुख रखते है।
हिन्दू साम्राज्य दिवस उत्सव कैसे मनाये उसके लिए क्या क्या व्यवस्था होनी चाहिये ?
साफ संघ स्थान पर चूने द्वारा उचित रेखांकन। चूना, नील, गेरू……आदि से ध्वजमण्डल की सुन्दर सज्जा । > ध्वज, ध्वजदण्ड, स्टैण्ड, माला (ध्वजलड़ी), पिन, धूप अगरबत्ती, माचिस आदि । प.पू. डॉक्टर जी व विक्रमादित्य / भारतमाता के चित्रों को सजाकर रखने की उचित व्यवस्था, मालायें, चादर, चंदन पिन………आदि । बिछावन एवं अधिकारियों हेतू 2/3 कुर्सियाँ । आवश्यक हो तो ध्वनिवर्धक की व्यवस्था करें।
कार्यक्रम विधि
• सम्पत् : सभी स्वयंसेवकों को सम्पत् की आज्ञा देनी है जिससे सभी स्वयंसेवक एक साथ एक जुट हो जाये और पंक्तिया तेयार के लिए अग्रसर आये
• ध्वजारोहण :
• अधिकारी परिचय :
अध्यक्षीय आर्शीवचन
• अमृत वचन
• एकल गीत
• बौद्धिक वर्ग
• प्रार्थना
ध्वजावतरण
• विकिर
हिन्दू साम्राज्य दिवस पर अम्रत वचन

शिवाजी महाराज को आदर्श के रूप में सम्मुख रखने से, उनके द्वारा हिन्दुत्व की रक्षा करने हेतू किये गये सभी पराक्रमों का हमें स्मरण हो आता है। जो स्फूर्ति हमें भगवा ध्वजा के दर्शन से प्राप्त होती है वही स्फूर्ति श्री छत्रपति शिवाजी महाराज के चरित्र से मिलती है। जो भगवा ध्वज धूल में गिरा था उसी को उन्होंने पुनः ऊँचा उठाया फहराया और हिन्दूपद पादशाही की प्राणप्रतिष्ठा की। नष्टप्राय हिन्दुत्व को उन्होने पुनर्जीवित किया। अतः यदि आप किसी व्यक्ति को ही आदर्श मानना चाहें तो श्री शिवाजी को ही अपना आदर्श रखें।
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