
वर्ष प्रतिपदा से जुड़े कुछ सामाजिक ऐतिहासिक प्रसंग
- भारत में प्रचलित सभी संवतों का प्रथम दिन। 2. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ।
- उज्जयिनी के सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन शकों को पूर्ण रूप से
- परास्त कर विक्रमी सम्वत् आरम्भ किया।
- माँ दुर्गा की उपासना ‘नवरात्र’ इसी दिन से प्रारम्भ।
- सिक्खों के द्वितीय गुरु अंगददेव का जन्म इसी दिन हुआ।
- महर्षि दयानन्द ने आर्य समाज की स्थापना इसकी दिन (1875ई.) की।
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक प.पू. डॉ. केशवराव बलिरा हेडगेवार का जन्म इसी दिन हुआ (1889 ई.)।
- शालिवाहन शक संवत् ( भारत का राष्ट्रीय सम्वत्) का प्रथम दिन। #हिंदू नववर्ष
चैत्र शुक्ल 1 नए वर्ष का प्रथम दिवस है। इसीलिये इसे वर्ष प्रतिपदा कहते हैं। भारतीय प्राचीन वांगमय के अनुसार सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुआ। सृष्टि से रचयिता ब्रह्मा ने चैत्र शुक्ल प्रथम को ही ब्रह्माण्ड की रचना आरम्भ की। यही कारण है कि अपने देश में प्रचलित सभी सम्वत् इसी दिन से प्रारम्भ होते हैं। #हिंदू नववर्ष
सर्वाधिक प्रचलित सम्वत् :-पश्चिमी संस्कृति के व्यापक प्रभाव तथा ग्रेगेरियन कैलेण्डर को विश्वव्यापी स्वीकृति के बाद भी भारतीय जनजीवन में आज भी विक्रम सम्वत् महत्त्वपूर्ण स्थान बनाये हुए हैं। समाज जीवन के बहुत से कार्यक्रलाप आज भी भारतीय काल गणना और विक्रम सम्वत् से जुड़े हुए हैं। सम्राट विक्रमादित्य ने आक्रमणकारी शकों को पूरी तरह से भारत भूमि से निकाल कर उन्हें पराजित किया था। उसी स्मृति में विक्रम सम्वत् आरम्भ हुआ।
युगाब्द – प्रचलित सम्वतों में सर्वाधिक प्राचीन युगाब्द है। इसे युधिष्ठिर सम्वत भी कहते हैं। कलियुग के शुरु होने के साथ युगाब्द जुड़ा हुआ है। प्रतिपदा के साथ कलियुग को पाँच हजार से अधिक वर्ष हो गये हैं। #हिंदू नववर्ष
हिंदू नववर्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2080 कलेंडर : नए वर्ष का अभिनन्दन

नए वर्ष का अभिनन्दन कोई भी व्यक्ति हो या समाज अथवा – राष्ट्र उसके जीवन में नया वर्ष नयी अभिलाषायें और नयी आकांक्षायें तथा उमंगें लेकर आता है। हर कोई आशा करता है कि आने वाले वर्ष उसके ही नहीं सभी के जीवन-पथ को नव आलोक से प्रकाशित करके उसमें नयापन लायेगा और विगत वर्षों में किसी भी कारण से यदि कहीं भी और कोई भी कम रह गई हो तो वह इस वर्ष में अवश्य पूरी हो जायेगी। सामान्यतः नवीनता के प्रति सभी के मन में एक विचित्र सा आकर्षक होता है। इसीलिये हर नई चीज को पाने के लिये व्यक्ति, समाज अथवा राष्ट्र बहुत लालायित हो उठता है। नूतन वर्षाभिनन्दन भी इसी क्रम की एक कड़ी है। #हिंदू नववर्ष
यह उल्लेखनीय है कि भारत के सामाजिक जीवन में जो कुछ भी मान्यतायें जो कुछ भी विश्वास और जो कुछ भी धारणायें स्थापित की गई हैं उनके पीछे कोई न कोई महत्त्वपूर्ण आधार अवश्य है। हमारे नए वर्ष की मान्यता के पदी भी विशुद्ध सांस्कृतिक, प्राकृतिक और आर्थिक कारण हैं। सृष्टि-निर्माण दिवस की स्मृति के रूप में यह हमारी संस्कृति का उज्ज्वल और महत्वपूर्ण दिन है। जहाँ तक प्रकृति का प्रश्न है। वसन्त के बाद का सुहावना मौसम चारों ओर छाया हुआ होता है। वृक्षों पर नई-नई कोपलों आई हुई होती है, आम के वृक्षों पर पूरी तरह से छाया बौर अपनी मीठी-मीठी सुगन्ध चारों ओर फैला रहा होता है, जिससे वातावरण में मादकता, मोहकता और मदान्धता भर जाती है। प्रकृति के इस परिवर्तन का कोयल कुहूक- कुहूक कर स्वागत करती है। #हिंदू नववर्ष

*विन्रम आग्रह* :- मेरा आप सबसे विनम्र निवेदन है कि *हिंदू नववर्ष 2023 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत्* 2080 (22 मार्च, 2023) को *अपना नववर्ष है* उस दिन ये कार्य अवश्य करें……..
1. *पीला या भगवा वस्त्र पहनें*.
2. *मस्तिष्क पर तिलक अवश्य लगायें*.
3. *घर पर मिष्ठान्न बनायें*.
4. *घर की छत पर भगवा झंडा अवश्य लगायें*.
5. *रात्रि को घर पर घर के बाहर दीप अवश्य जलायें*.
6. *कम से कम 11 लोगों को* मिलकर या फोन कॉल पर *हिन्दू नववर्ष की शुभकामनाएँ दें।* और सभी को ऐसा करने के लिए प्रेरित करे……….। #हिंदू नववर्ष
हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2080 कलेंडर :#हिंदू नववर्ष

🚩जय श्री राम🚩
वर्ष प्रतिपदा उत्सव हेतु व्यवस्था मुख्य शिक्षक गणगीत हेतु एकल गीत हेतु अमृत वचन हेतु प्रार्थना हेतु कार्यक्रम अध्यक्ष मुख्य वक्ता कार्यक्रम विधि बताने एवं मंचासीन बन्धुओं का परिचय कराने हेतु कार्यक्रम स्थल की आन्तरिक व्यवस्था हेतु कार्यक्रम स्थल की बाह्य (स्वच्छता, रेखांकन करने एवं स्वागत करते हुए जूते, चप्पल, वाहन व्यवस्थित हो एवं निश्चित स्थान पर व्यवस्थित खड़े हों, कार्यक्रम में बैठने से पूर्व ध्वज प्रणाम करके बैठना बताने लगाने हुए सूचना देने आदि) व्यवस्था हेतु
आवश्यक सामग्री
चूना एवं रस्सी (रेखांकन हेतु)। उपयुक्त एवं स्वच्छ स्थान (बिछावन सहित)।
माल्यार्पण के लिये सम्राट विक्रमादित्य एवं पू. डाक्टर हेडगेवार जी का अतिरिक्त चित्र ।
डॉक्टर हेडगेवार जी एवं श्री गुरुजी के चित्र, मालाएं एवं चित्रों को रखने के लिये मेजें, चादरें ।
मालायें, धूपबत्ती/अगरबत्ती, स्टैण्ड, माचिस, आलपिनें, सुई धागा एवं सज्जा सामग्री।
ध्वज दण्ड (सीधा), ध्वज दण्ड हेतु स्टैण्ड (यदि नहीं है तो समुचित संख्या में ईंट) अध्यक्ष, वक्ता के लिये कुर्सियाँ । कार्यक्रम स्थल स्वच्छ एवं बिछावन युक्त हो। कार्यक्रम स्थल पर आवश्यकतानुसार ध्वनि विस्तारक यन्त्र एवं प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो । कार्यक्रम के पश्चात् परिचय के लिये कार्यकर्ताओं व प्रमुख बन्धु को कार्यक्रम स्थल पर बिठाना योग्य रहेगा।
हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2080 कलेंडर कार्यक्रम विधि
गणगीत ,अधिकारी आगमन ,कार्यक्रम की विधि बताना एवं सूचनायें ,आद्य सरसंघचालक प्रणाम ,ध्वजारोहण ,परिचय ,अमृतवचन ,एकलगीत ,बौद्धिक वर्ग ,अध्यक्षीय आशीर्वचन ,प्रार्थना ,ध्वजावतरण ,विकिर ,प्रसाद वितरण वर्ष प्रतिपदा उत्सव हेतु
अमृत वचन वर्ष प्रतिपदा उत्सव हेतु
प.पू. श्रीगुरुजी ने कहा- ‘भावावेश में आकर एक सामान्य पुरुष भी हुतात्मा बन सकता है। किन्तु दिनोंदिन शरीर को घुलाना तथा वर्षानुवर्ष अपने आपको कण-कण कर जलाते रहना केवल अवतारी पुरुष का ही काम है और हमारे सौभाग्य से ऐसी विभूति हम में निर्माण हुई।
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