Skip to content

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अध्ययन

Menu
  • होम
  • About US परिचय
  • संघ के सरसंघचालक
    • Terms and Conditions
    • Disclaimer
  • शाखा
  • संघ के गीत
  • एकल गीत
  • गणगीत
  • प्रार्थना
  • सुभाषित
  • एकात्मतास्तोत्रम्
  • शारीरिक विभाग
  • बोद्धिक विभाग
  • अमृत वचन
  • बोधकथा
    • बोधकथा
      • बोधकथा
        • प्रश्नोत्तरी
  • RSS संघ प्रश्नोत्तरी
  • डॉ० केशवराम बलिराम हेडगेवार जीवन चरित्र (प्रश्नोत्तरी)
    • डॉ केशव बलिराम हेडगेवार : Hindi Tweets
    • मातृभाषा_दिवस : Hindi Tweets
    • श्री गुरुजी: Hindi Tweets
  • गतिविधि
  • सम्पर्क सूत्र
  • Contact Us
Menu

चन्द्रशेखर आजाद कौन है इनके चर्चे विश्व मे क्यो हो रहे है ?आओ जाने

Posted on February 14, 2023December 12, 2023 by student

चन्द्रशेखर आजाद जी का सम्पूर्ण जीवन परिचय जानने की इच्छा से आपने हमारे पेज का चयन किया उसके लिए आपका धन्यवाद और आपका स्वागत है

चन्द्रशेखर आजाद जी का संझिप्त परिचय

सन् 1950 के आसपास की बात है लोगों ने एक बूढ़ी महिला को यह कहते सुना था “चन्द्रशेखर अब आता ही होगा, मैंने उसके लिये पेड़े रखे हैं, उसे पेड़े बहुत अच्छे लगते हैं।” यह बूढ़ी महिला कोई और नहीं वीर चन्द्रशेखर आजाद की माँ जगरानी देवी थीं जो पुत्र-वियोग में पागल हो गयी थीं। उन्हें यह भी होश नहीं था कि चन्द्रशेखर तो कभी का अमर हो चुका वह अब कभी नहीं आयेगा। बताया जाता है कि भारत सरकार ने देश स्वतंत्र होने के कई साल बाद उस बुढ़िया के लिये पन्द्रह रुपये महीने की पेंशन बांध दी थी। परन्तु इस पेंशन को वे तीन-चार महीने से अधिक न ले सकीं और चली बसीं। #चन्द्रशेखर आजाद

23 जुलाई 1906 को वीर बालक चन्द्रशेखर का जन्म अलीराजपुर रियासत के भंवरा नामक गाँव में पंडित सीताराम तिवारी के घर हुआ था। चन्द्रशेखर जब बनारस में संस्कृत की शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तभी जलियाँवाला बाग काण्ड हो गया। निर्दोष भारतीयों के इस निर्मम हत्याकाण्ड ने तेरह वर्ष के बालक चन्द्रशेखर को झकझोर कर रख दिया। इससे आक्रोशित होकर उन्होंने अंग्रेजों से बदला लेने के लिये सशस्त्र क्रांति की शपथ ली। चन्द्रशेखर आजाद लोकमान्य तिलक व वीर सावरकर को अपना आदर्श मानते थे। चन्द्रशेखर का क्रांतिकारी जीवन में प्रवेश हो जाने पर अंग्रेज सरकार उनके पीछे हाथ धोकर पड़ गयी थी। #चन्द्रशेखर आजाद

चन्द्रशेखर आजाद

चन्द्रशेखर की माँ अपने पति की मृत्यु के बाद कानपुर के एक मकान में अकेली ही रहती थी, लेकिन चन्द्रशेखर अपनी माँ से मिलने कभी-कभार ही आ पाते थे। कई बार तो माँ जगरानी महीनों तक चन्द्रशेखर का मुँह देखने को तरस जाती थी, वह बेटे की राह तकती हुई सूखकर पिंजर हो गयी थी। चन्द्रशेखर को देखते ही माँ का रोम-रोम खिल उठता था। माँ उससे रुकने की जिद करती परन्तु चन्द्रशेखर जरुरी काम का बहाना बनाकर जल्दी ही चले जाते। माँ शिकायत करती – ‘क्या तू अपनी माँ के लिये एक दिन भी नहीं रुक सकता? तुझे मेरी खुशी की तनिक भी परवाह नहीं? चन्द्रशेखर ने जवाब दिया- ‘माँ दुख उठाती रहे और बेटा देखता रहे, ऐसे पुत्र को तो धिक्कार है। भारत माँ जो तैंतीस करोड़ पुत्रों की माँ है, आज गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी पड़ी है। वह तो मेरी, तुम्हारी, इस देश के हर वासी की माँ है। मुझसे उसका दुख नहीं देखा जाता है। तुम मुझे आशीर्वाद दो माँ कि मैं अपने लक्ष्य में कामयाब हो सकूँ। यदि शिवजी की माता जीजाबाई इतनी वीर न होती तो क्या शिवाजी महाराष्ट्र को स्वतंत्र करा पाते।’ #चन्द्रशेखर आजाद

माँ जगरानी को यह बड़ी-बड़ी बातें समझ नहीं आती थी। उसकी तो इच्छा थी कि चन्द्रशेखर विवाह करे, घर में एक अच्छी सी बहू आए, पोती-पोते का मुँह देखे। फिर भी जगरानी देवी ने चन्द्रशेखर को उसके उद्देश्य में सफल होने के लिये मन ही मन आशीर्वाद दिया। #चन्द्रशेखर आजाद

चन्द्रशेखर माँ के दिये पेड़े खाते हुए सोच रहे थे, “संसार में ममता की कोई बराबरी नहीं। मैं अपने माता-पिता को कभी सुख न दे पाया। देश सेवा का व्रत है ही ऐसा। उसके लिये सब कुछ त्यागना जो पड़ता है। गुरु गोविन्द सिंह ने अपने चारों पुत्रों की बलि दे दी। महाराणा प्रताप जंगलों की खाक छानते फिरे। शिवाजी इतना बड़ा साम्राज्य स्थापित करने के बाद भी कभी चैन से नहीं रह सके। लोकमान्य तिलक, वीर सावरकर, लाला हरदयाल व लाला लाजपत राय ने अंग्रेजों के कितने जुल्म सहे। खुदीराम बोस को केवल सत्रह साल की उम्र में ही फाँसी पर लटका दिया गया। भारत माता हम सबकी माता है और देश सेवा सबसे बड़ा धर्म है। #चन्द्रशेखर आजाद

चन्द्रशेखर जिसके नाम से ही अंग्रेजों की कंपकंपी छूट जाती थी, 27 जनवरी 1931 को एक विश्वासघाती साथी जो अंग्रेजों का मुखबिर बन गया था, के षड्यंत्र में फँसकर इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में हजारों अंग्रेज सिपाहियों से घिर गये । घण्टों तक गोलियाँ चलती रहीं, अकेला आजाद कब तक हजारों सिपाहियों का मुकाबला कर पाता। अन्त में एक गोली बचने पर उन्होंने अपनी पिस्तौल को कनपी पर रखकर गोली चला दी। इस प्रकार चन्द्रशेखर सदैव आजाद ही रहा और मरते समय भी उसने अपनी आजादी का ही परिचय दिया। भारत माता की आजादी के लिये यह क्रांतिवीर अपनी ही गोली से वीरगति को प्राप्त हुआ। #चन्द्रशेखर आजाद

चन्द्रशेखर आजाद

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे महभरात आप संघ की आधिकारिक वैबसाइट से भी प्राप्त कर सकते है उसके लिए आप यहाँ क्लिक करे http://rss.org और आप हमारे पोर्टल के माध्यम से भी जानकारी ले सकते है उसके लिए यहाँ क्लिक करे https://rsssangh.in

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

संघ के कुछ

  • Health Tips
  • RSS News
  • RSS संघ प्रश्नोत्तरी
  • Tweets RSS
  • अम्रतवचन
  • आज का पंचांग
  • गीत ,गणगीत , बालगीत और एकलगीत
  • बोधकथा
  • भारत की महान विभूतियाँ
  • महाभारत
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस)
  • शाखा
  • संघ उत्सव
  • संघ शिक्षा वर्ग
  • सर संघचालक
  • सुभाषित
  • स्मरणीय दिवस
  • स्वामी विवेकानन्द
© 2025 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अध्ययन | Powered by Minimalist Blog WordPress Theme