
लाला हरदयाल जी का सम्पूर्ण जीवन परिचय जानने की इच्छा से आपने हमारे पेज का चयन किया उसके लिए आपका धन्यवाद और आपका स्वागत है
लाला हरदयाल जी का संझिप्त परिचय
लाला हरदयाल जैसा अद्भुत स्मरण शक्ति धारक व्यक्ति विश्व में शायद ही कोई दूसरा रहा होगा। एक दिन लाहौर कॉलेज के सभा भवन में अपनी विलक्षण स्मृति का प्रदर्शन करके उन्होंने लोगों को आश्चर्य में डाल दिया। एक प्रतिद्वंद्वी को सामने बिठाकर उसके साथ शतरंज खेलने लगे। पाँच मिनट का समय उन्हें दिया गया था। इन पाँच मिनटों तक एक व्यक्ति एक घण्टी बजाकर टन टन करता गया। अरबी भाषा का एक विद्वान अरबी की एक कविता पढ़ता रहा। साथ ही साथ लैटिन भाषा का एक अन्य विद्वान लैटिन भाषा की कविता पढ़ता रहा। साथ ही गणित का एक कठिन सवाल एक कापी पर लिखकर लाला हरदयाल को हल करने के लिये दिया गया।
पाँच मिनट के समय में लाला जी ने ये सब काम एक साथ कर डाले। शतरंज में अपने शातिर प्रतिद्वंद्वी को हरा दिया। उसी समय में ही गणित का कठिन प्रश्न भी हलकर दिया। उन्होंने घंटी की टन टन की संख्या बिल्कुल ठीक बता दी। अक्षरशः उन्होंने अरबी व लैटिन भाषा की कविताएं भी सुना दी। लाला हरदयाल एक साथ दोनों हाथों से लिख सकते थे वह भी अलग-अलग भाषाओं मे व अलग-अलग विषय पर।
लाला हरदयाल हिन्दू तथा बौद्ध धर्म के प्रकाण्ड विद्वान थे। उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकों की रचना की। वे उद्धरण देते समय कभी ग्रंथ नहीं पलटते थे बल्कि अपनी विलक्षण स्मृति के आधार पर सीधा लिख दिया करते थे कि यह अंश अमुक पुस्तक से अमुक पृष्ठ से लिया गया है। अमेरिकी बुद्धिजीवी इन्हें हिन्दू संत एवं स्वतंत्रता सेनानी कहा करते थे।
लाला जी से भयभीत ब्रिटिश सरकार ने उनके भारत आने पर पाबन्दी लगा रखी थी। 1938 में कुछ देशभक्तों के प्रयास से उन्हें भारत लौटने की अनुमति दी गई। भारत के लोग उनके आगमन की प्रतीक्षा में व्याकुल हो रहे थे। परन्तु दुर्भाग्य से लाला जी के शरीर में स्थित उस महान् आत्मा ने फिलाडेल्फिया (अमेरिका) में 4 मार्च 1939 को उस शरीर को त्याग दिया। लाला जीवित रहते हुए भारत नहीं लौट सके। देशभर में शोक की लहर दौड़ गयी। तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं क्योंकि मृत्यु से पहले वे पूर्ण स्वस्थ थे। जो भी हो, लाला हरदयाल ने एक शहीद की मृत्यु वरण की। वे देश के लिये जिये और देश के लिये मरे
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