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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अध्ययन

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यष्टी का प्रयोग

Posted on March 27, 2023April 25, 2023 by student

व्यायाम योग : यष्टी

यष्टी प्रयोग – 1

  1. दाहिना पैर दूसरे मोहरे पर रखकर दाहिने हाथ से दाहिना पैर बायें पैर से मिलाना। रखकर बायें हाथ से कोष्टाचा
  2. बायां पैर चौथे मोहरे पर पैर दाहिने पैर से मिलाना।
  3. दाहिना पैर तीसरे मोहरे पर रखकर दाहिने हाथ से काष्टाधान, दाहिना पैर बायें पैर से मिलाना
  4. बायाँ पैर तीसरे मोहरे पर रखकर बायें हाथ से कोष्टाघात, बायाँ पैर दाहिने पैर से मिलाना,
  1. दाहिना पैर पहले मोहरे पर रखकर दाहिने हाथ से बायीं ओर से कोष्टाघात, दाहिना पैर बायें पैर से मिलाना
  2. बायाँ पैर पहले मोहरे पर रखकर बायें हाथ से दाहिनी ओर से कोष्टाघात, बायाँ पैर दाहिने पैर से मिलाना

यष्टी प्रयोग – 2 (जो पैर हिलाया है, वह हाथ नीचे रखकर रोध लेना)

  1. दाहिना पैर दूसरे मोहरे पर रखते हुए यष्टी को दोनों हाथों से पकड़ते हुए कोष्टाघात का रोध लेकर दाहिना पैर बायें पैर से मिलाना
  1. बायाँ पैर चौथे मोहरे पर रखते हुए यष्टी को दोनों हाथों से पकड़ते हुए कोष्टाघात का रोध लेकर बायाँ पैर दाहिने पैर से मिलाना।
  1. दाहिना पैर तीसरे मोहरे पर रखते हुए यष्टी को दोनों हाथों से पकड़ते हुए कोष्टाघात का रोध लेकर दाहिना पैर बायें पैर से मिलाना
  2. बायाँ पैर तीसरे मोहरे पर रखते हुए यष्टी को दोनों हाथों पकड़ते हुए कोष्टाघात का रोध लेकर बायाँ पैर दाहिने पैर से मिलाना
  3. दाहिना पैर पहले मोहरे पर रखते हुए यही को दोनों हाथों से हुए कोषाघात का रोध लेकर दाहिना पैर बायें पैर से मिलाना।
  4. बायाँ पैर पहले मोहरे पर रखते हुए यही को दोनों हाथों से पकड़ कोष्टाघात का रोध लेकर बायाँ पैर दाहिने पैर से मिलाना। और सिद्ध स्थिति में आना।

दण्ड योग

दण्ड योग स्थिति का वर्णन #यष्टी

योग- 1

  • दोनों हाथ सामने दण्ड सामने।
  • दोनों हाथ ऊपर दण्ड ऊपर।
  • दोनों हाथ सामने दण्ड सामने (पूर्व एक की स्थिति।
  • दण्ड योग स्थिति । #यष्टी

योग – 2

  1. दोनों हाथ ऊपर दण्ड ऊपर।
  2. दोनों हाथ मोड़कर दण्ड सहित हथेली कंधों पर।
  3. दोनों हाथ ऊपर दण्ड ऊपर ।
  4. दण्ड योग स्थिति। #यष्टी

सामूहिक समता

  1. तीन कदम आगे बढ़ना, चौथा कदम मिलाना।
  2. वाम, दक्षिण, अर्धवृत्त करना ।
  3. उस दिशा में फिर 3 कदम आगे बढ़ना, चौथा मिलाना। 4. यही क्रम चारों दिशा में करना अर्थात् चार बार करना।
  4. अर्धवृत्त का प्रयोग चार बार करना।

दो दिशाओं में सबको एक साथ खड़ा कर दक्षिण, वाम, अर्धवृत्त का प्रयोग गतिसह भी करवा सकते हैं।

व्यायाम योग

व्यायाम योग-1

  • बायां पैर बायीं ओर दोनों हाथ बाजू में खोलना, ही जमी की ओर।
  • दाहिना पैर बायें पैर से मिलाना, दाहिना हाथ ऊपर, वायी हाय नीचे।
  • क्रमांक 1 का कार्य ।
  • योग स्थिति । यही क्रम दाहिने पैर से भी करना

व्यायाम योग – 2

  1. बायां पैर बायीं ओर दोनों हाथ बाजू में खोलना, हथेली जमीन की ओर।
  2. दोनों पैर पर दबना और दोनों हाथ कोहिनी से मोड़कर हाथ को सूर्यचक्र पर लाना।
  3. क्रमांक 1 का कार्य।
  4. योग स्थिति । (यही क्रम दाहिने पैर से भी करना ।)

व्यायाम योग – 3

  1. बायां पैर आगे दोनों हाथ कान से सटाकर ऊपर, हथेली आमने- सामने।
  2. हाथ को नीचे सूर्यच्रक पर लेते हुए नमस्कार करना।
  3. क्रमांक 1 का कार्य ।

व्यायाम योग – 4

  1. योग स्थिति। उछल कर बायीं ओर दिशा परिवर्तन करते हुए दोनों पैर बाजू में खोलना, हथेली जमीन की ओर।
  2. कमर के ऊपर के हिस्से नीचे झुकाते हुए नीचे ताली बजाना।
  3. कमर के ऊपर के हिस्से को ऊपर उठाना और दोनों हाथ बाजू में (क्र. 1 की स्थिति)।
  4. उछल कर दोनों पैर मिलाकर योग स्थिति में आना। (यही क्रम शेष तीनों दिशाओं में करना।)

भुजदण्ड से स्कन्ध

  1. बाँया हाथ दंड के साथ झटले से सामने, जमीन से समानान्तर बाँए हाथ के सामने दाहिने हाथ से नीचे से दण्ड पकड़ना । 2. बाँया हाथ सीधा जंघा के पास (दक्ष के समान) लेकर दंड दोनों

हाथों से तिरछा पकड़ना ।

  1. बाँया हाथ कोहनी में मोड़कर दाहिने हाथ से दंड बाँए कंधे पर रखना, बाँयी कोहनी कमर के ऊपर सटी हुई, दोनों प्रकोष्ठ जमीन से समानान्तर तथा एक दूसरे के लम्बवत् 4. दाहिना हाथ छोड़कर दक्ष की स्थिति में लाना (निकटतम मार्ग से)।
  2. स्कन्ध से भुजदंड ऊपर के काम का व्यत्यास करना । हरेक बाँए पैर पर विभागशः काम करना ।
  3. चलते समय बाँए पैर पर आदेश मिलेगा, आगे आने वाले –

भुजदंड से उपविश

  1. बाँया हाथ दण्ड सहित जमीन के समानान्तर सामने उठाना, दण्ड का सामने वाला पतला सिरा अपने सूर्य चक्र के सामने ताकि पिछला सिरा पिछले स्वयंसेवक को न लगे। दाहिने हाथ ‘दण्ड को बाँई कोहनी के पास से पकड़ना ।
  2. हाथों की स्थिति यथावत रखते हुए बैठना।.
  3. दण्ड जमीन पर शरीर के पास रखना ।
  1. दोनों हाथ घुटनों पर रखना ।

उत्तिष्ठ- उपरोक्त काम का व्यत्यास करना ।

(यदि कुछ ऐसे स्वयंसेवक भी हैं कि जिनके पास दण्ड नहीं है तो ऐसे में उन्हें विभागशः 2 में बैठना तथा उत्तिष्ठ में खड़े होने का काम विभागशः 3 में करना चाहिए।)

भुजदण्ड में दक्ष -दक्ष के समान, दण्ड बाँए हाथ लपेटा हुआ, मोटा सिरा ऊपर, पतला नीचे, नीचे एक बालिश्त छूटा हुआ, दण्ड जमीन के लम्बवत् ।

आरम् -आरम् के समान पैर खोलना। बाँए हाथ के अँगूठे को दाहिने हाथ के अगूंठे तथा हथेली के बीच पकड़ना, दाहिने हाथ की सभी अंगुलियाँ सीधी रहेंगी।

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