(देश के प्रति अनन्य भक्ति, पूर्वजो के प्रति अगाध श्रद्धा तथा सम्पूर्ण के प्रति बोध कराने वाले इन मंत्रों का नित्य प्रति पाठ करना चाहिए ।) आरएसएस संघ” का एकात्मता स्तोत्र सुबह 4:55 मिनट पढ़ा जाता है, इसका मुख्य उद्देश्य संघ के सदस्यों को सामूहिक एवं आत्मात्मीय एकात्मता की भावना से युक्त करना है। यह स्तोत्र साझा धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति आदर्श और समर्पण की भावना को सटीक रूप से प्रतिष्ठापित करने का भी एक तरीका है। इसके माध्यम से संघ के सदस्य समूह के साथ अपने व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों में आत्म-निवेदन की भावना को सुनिश्चित करते हैं और साथी सदस्यों के साथ एकमात्रता की अद्वितीयता को महसूस करते हैं।

ॐ सच्चिदानन्दरूपाय नमोऽस्तु परमात्मने । ज्योतिर्मयस्वरूपाय विश्वमाङ्गल्यमूर्तये ।।1।।
अर्थ : विश्वकल्याण के प्रतिमूर्ति, ज्योतिर्मय, सच्चिदानन्द स्वरूप परमात्मा को नमस्कार ।। 1 ।। #एकात्मतास्तोत्रम्
प्रकृतिः पञ्च भूतानि ग्रहा लोका स्वरास्तथा । दिशः कालश्च सर्वेषां सदा कुर्वन्तु मङ्गलम् ।।2।।
सत्व, रज और तमोगुण से युक्त प्रकृति; पंचभूत (अग्नि, ज वायु, पृथ्वी, आकाश); नवग्रह: तीनों लोक; सात स्वर; दसों दिशाएं सभी काल (भूत, भविष्य, वर्तमान) सर्वदा कल्याणकारी हों ।।2। #एकात्मतास्तोत्रम्
रत्नाकराधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम् । ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्यां वन्दे भारतमातरम् || 3 ||
सागर जिसके चरण धो रहा है, हिमालय जिसका मुब और जो ब्रह्मर्षि तथा राजर्षि रूपी रत्नों से समृद्ध है, ऐसी भार की मैं वन्दना करता हूँ ।। 3।। #एकात्मतास्तोत्रम्
महेन्द्रो मलयः सह्यो, देवतात्मा हिमालयः । ध्येयो रैवतको विन्ध्यो, गिरिश्चारावलिस्तथा ।। 4 ||
महेन्द्र (उड़ीसा में), मलयगिरि (मैसूर में), (पश्चिमी घाट), देवतात्मा हिमालय, रैवतक (काठिय गिरनार), विन्ध्याचल, तथा अरावली (राजस्थान) प करने योग्य हैं।। 4 ||
गडगा सरस्वती सिन्धुर्वपश्चगण्डकी। कावेरी यमुना रेता कृष्णा गोवा महानवी ॥ 5 ॥
गंगा, सरस्वती, सिंधु बापुत्र गण्डकी, कावेरी, यमुना, रेवा (नर्मदा), कृष्णा, गोदावरी तथा महानदी आदि पनुसा नदियाँ ।। 511
अयोध्या मथुरा माया काशी काश्रित अवन्तिका । वैशाली द्वारिका ध्येया पुरी तक्षशिला गया।1 611
अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), कांशी, कांथि अवन्तिका (उज्जैन), द्वारिका, वैशाली, तक्षशिला, जगन्नाथपुरी गया तथा ।1 611#एकात्मतास्तोत्रम्
प्रयागः पाटलीपुत्रं विजयानगरं महत् । इन्द्रप्रस्थं सोमनाथः तथाऽमृतसरः प्रियम् ।। 711
प्रयाग, पाटलीपुत्र, विजय नगर, इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) विख्यात सोमनाथ, अमृतसर ध्यान करने योग्य हैं ।। 711#एकात्मतास्तोत्रम्
चतुर्वेदाः पुराणानि सर्वोपनिषदस्तथा । रामायणं भारतं च गीता सदर्शनानि च ।। 8।।
चारों वेद, 18 पुराण, सभी उपनिषद्, रामायण, महाभारत, गीता तथा अन्य श्रेष्ठ दर्शन और ।। 8 ।।#एकात्मतास्तोत्रम्
जैनागमास्त्रिपिटका गुरुग्रन्थः सतां गिरः । एष ज्ञाननिधिः श्रेष्ठः श्रद्धेयो हृदि सर्वदा ॥ १ ॥
जैनों के आगम ग्रन्थ, बौद्धों के त्रिपिटक (विनय पिटव सुत्त पिटक, और अभिधम्म पिटक) तथा श्री गुरुग्रंथ की स वाणी, हिन्दू समाज के श्रेष्ठ ज्ञानकोष हैं। इनके प्रति हृदय सदा श्रद्धा बनी रहे ।। 9।।
अरुन्धत्यनसूया च सावित्री जानकी सती । द्रौपदी कण्णगी गार्गी मीरा दुर्गावती तथा ।। 10।।
अरुन्धती, अनुसूया, सावित्री, सीता, सती, द्रौपदी, क गार्गी, मीरा दुर्गावती तथा ।। 10 ।।#एकात्मतास्तोत्रम्
लक्ष्मीरहल्या चेन्नम्मा रुवमाम्बा सुविक्रमा । निवेदिता सारदा च प्रणम्या मातृदेवताः ॥ 11 ॥
लक्ष्मीबाई, अहल्याबाई होलकर, चन्नम्मा आदि पराक्र नारियाँ, भगिनी निवेदिता तथा सारदा (स्वामी रामकृष्ण परमहंस की पत्नी) मातृस्वरूपा हैं, वन्दनीय हैं ।। 11 11#एकात्मतास्तोत्रम्
श्रीरामो भरतः कृष्णो भीष्मो धर्मस्तथार्जुनः । मार्कण्डेयो हरिशचन्द्रः प्रह्लादो नारदो ध्रुवः ।। 1211
भगवान श्रीराम, भरत, कृष्ण, भीष्म, धर्मराज युधिष्ठिर, अर्जुन, ऋषि मार्कण्डेय, हरिश्चन्द्र, प्रहलाद, नारद, धुव तथा 111211
हनुमान जनको व्यासो वशिष्ठश्च शुको बलिः। दधीचि विश्वकर्माणौ पृथुवाल्मीकिभार्गवाः ।। 13।।
हनुमान, जनक, व्यास, वशिष्ठ, शुकदेव, राजा बलि, दधीचि, विश्वकर्मा, पृथ, वाल्मीकि, भार्गव (परशुराम) ।। 13 ||
भगीरथश्चैकलव्यो मनुर्धन्वन्तरिस्तथा । शिबिश्च रन्तिदेवश्च पुराणोद्गीतकीर्तयः ।। 14 ।।
भगीरथ, एकलव्य, मनु, धन्वन्तरि,, शिबि तथा रन्तिदेव की कीर्ति पुराणों में गाई गई है ।। 14 ||#एकात्मतास्तोत्रम्
बुद्धा जिनेन्द्रा गोरक्षः पाणिनिश्च पत०जलि । शंकरो मध्वनिम्बार्कों श्रीरामानुजवल्लभौ ।। 15 ।।
बुद्ध के सभी अवतार, सभी तीर्थकर, गुरु गोरखनाथ, पाणिनि, पंतजलि, शंकाराचार्य, मध्वार्चा, निम्बार्काचार्य, रामनुजाचार्य तथा बल्लभाचार्य, ।। 15।। #एकात्मतास्तोत्रम्
झुलेलालोऽथ चैतन्यः तिरुवल्लुवरस्तथा । नायन्मारालवाराश्च कंबश्च बसवेश्वरः ।। 16।।
झूलेलाल, महाप्रभु चैतन्य, तिरुवल्लुवर, नायन्मार तथा आलवार सन्तपरम्मरा, कंब, बसवेश्वर तथा ।। 16 ||#एकात्मतास्तोत्रम्
देवलो रविदासश्च कबीरो गुरुनानकः । नरसिस्तुलसीदासो दशमेशो दृढव्रतः ॥ 17 ॥
महर्षि देवल, सन्त रविदास, कबीर, गुरुनानक, नरसी मेहता, तुलसीदास, दृढ़व्रती गुरुगोविन्दसिंह, ।। 17 ।।
श्रीमत् शंकरदेवश्च वन्यू सायन-माधवी । ज्ञानेश्वरस्तुकारामो रामदासः पुरन्दरः 11 1811
आसाम के वैष्णव सना श्रीमत् शंकरदेव, सायणाचार्य, माधवाचार्य संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम, समर्थगुरु रामदास, पुरन्दरदास ।। 1811 #एकात्मतास्तोत्रम्
बिरसा सहजानन्दो रामानन्दस्तथा महान् । वित्तरन्तु सदैवेत्ते दैवीं सद्गुणसम्पदम् ।। 1911
बिरसामुण्डा, स्वामी सहजानन्द, रामानन्द आदि महान
पुरुष सदैव समाज को श्रेष्ठ गुण प्रदान करें ।। 1911
भरतर्षिः कालिदासः श्रीमोजो जकणस्तथा । सूरदासस्त्यागराजो रसखानश्च सत्कविः ।। 2011
नाट्यशास्त्र के आदि गुरु भरत ऋषि, संस्कृत के विद्वान कालिदास, महाराजा भोज, जकण, महात्मा सूरदास, त्यागराज, रसखान जैसे श्रेष्ठ कवि तथा ।। 20।।
रविवर्मा भातखण्डे भाग्यचन्द्रः स भूपतिः । कलावन्तश्च विख्याता स्मरणीया निरन्तरम् ।। 21 ||
महान चित्रकार रविवर्मा, वर्तमान संगीत कला के विख्यात उद्धारक भातखण्डे, मणिपुर के राजा भाग्यचन्द्र आदि विख्यात कलाकार सर्वदा स्मरणीय हैं। || 21 ||
अगस्त्यः कम्बुकौण्डिन्यौ राजेन्द्रश्चोलवंशजः । अशोकः पुष्यमित्रश्च खारवेलः सुनीतिमान् ।। 22 ।।
अगस्त्य, कम्बु, कौण्डिन्य, चोलवंशज राजेन्द्र, अशोक, पुष्यमित्र तथा खारवेल नीतिज्ञ हैं।। 22।।
चाणक्य-चन्द्रगुप्तौ च विक्रमः शालिवाहनः । समुद्रगुप्तः श्रीहर्षः शैलेन्द्रो बप्परावलः।। 23।।
चाणक्य चन्द्रगुप्त, विक्रमादित्य, शालिवाहन, समुदगुद हर्षवर्धन, शैलेन्द, बाप्पारावल तथा।। 2311
लाचिद् भास्करवर्मा च यशोधर्मा च च हूणजित् । श्रीकृष्णदेवरायश्च ललितादित्य उबलः ।। 24 ।।
लाचिद् बड़फुंकन, भास्करवर्मा, हूणविजयी यशोधर्मा, श्रीकृष्णदेवराय तथा ललितादित्य जैसे वलशाली।। 24।।
मुसुनूरिनायकौ तौ प्रतापः शिवभूपतिः । रणजित्सिंह इत्येते वीरा विख्यातविक्रमाः ।। 25।।
प्रोलय नायक, कप्पयनायक, महाराणाप्रताप, महाराज शिवाजी था रणजीत सिंह, इस देश में ऐसे विख्यात पराक्रमी वीर हुए हैं।। 25 ।।
वैज्ञानिकाश्च कपिलः कणादः सुश्रुतस्तथा । चरको भास्कराचार्यों वराहमिहिरः सुधीः।। 26।।
हमारे बुद्धिमान वैज्ञानिक कपिलमुनि, कणाद ऋषि, सुश्रुत, चरक, भास्काराचार्य तथा वराहमिहिर ।। 26।।
नागार्जुनो भरद्वाज आर्यभट्टो बसुर्बुधः । ध्येयो वेङ्कटरामश्च विज्ञा रामानुजादयः ।। 27 ॥
नागार्जुन, भरद्वाज, आर्यभट्ट, जगदीशचन्द्र बसु, चन्द्रशेखर वेंकट रमन तथा राजमानुजम् जैसे प्रतिभावान वैज्ञानिक स्मरणीय हैं।। 27 ।।
रामकृष्णो दयानन्दो रवीन्द्रो राममोहनः । रामतीर्थोऽरविंदश्च विवेकानन्द उद्यशाः ।। 28 ।।
रामकृष्ण परमहंस, स्वामी दयानन्द, रवीन्द्रनाथ टैगोर राजा राममोहनराय, स्वामी रामतीर्थ, महर्षि अरविन्द स्वामी विवेकानन्द तथा ।। 28 ||
दादाभाई गोपबन्धुः तिलको गान्धिरादृता । रमणो मालवीयश्च श्री सुब्रह्मण्यभाती ।। 29।।
गंगाधर तिलक, महर्षि रमण, महामना मालवीय तथा सुब्रहाण्य भारती आदरणीय हैं ।। 2911
सुभाषः प्रणवानन्दः क्रान्तिवीरो विनायकः । ठक्करो भीमरावश्च फुले नारायणो गुरुः ।। 3011
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, प्रणवानन्द, क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर, ठक्कर बाप्पा, भीमराव अम्बेडकर, ज्योतिराव फुले, नारायण गुरु तथा ।। 3011
संघशक्तिप्रणेतारौ केशवो माधवस्तथा । स्मरणीयाः सदैवैते नवचैतन्यदायकाः ।। 31 ।।
संघ-शक्ति के प्रणेता प.पू. केशवराव बलिराम हेडगेवार तथा माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर, हिन्दू समाज में नवीन चेतना प्रदान करने वाले महापुरुष सदैव स्मरणीय हैं ।। 3111
अनुक्ता ये भक्ताः प्रभुचरणसंसक्तहृद्दयाः अनिर्दिष्टा वीरा अधिसमरमुद्ध्वस्तरिपवः ।
समाजोद्धर्तारः सुहितकरविज्ञाननिपुणाः नमस्तेभ्यो भूयात् सकलसुजनेभ्यः प्रतिदिनम् ।। 32 ।।
प्रभुचरण में अनुरक्त रहने वाले अनेक भक्त जो शेष रह गए, देश की अस्मिता और अखण्डता पर प्रहार करने वाले शत्रुओं को युद्ध में परास्त करने वाले बहुत से वीर जिनके नामों का उल्लेख नहीं हो पाया, तथा अन्य समाजोद्धारक, समाज के हितचिन्तक तथा निपुण वैज्ञानिक एवं सभी श्रेष्ठजनों को प्रतिदिन हमारे प्रणाम समर्पित हों।। 32 ||
इदमेकात्मतास्तोत्रं श्रद्धया यः सदा पठेत् । स राष्ट्रधर्मनिष्ठावान् अखण्डं भारतं स्मरेत् ।। 33 ।।
इस एकात्मता स्तोत्र का जो सदा श्रद्धापूर्वक पाठ करे- राष्ट्रधर्म में निष्ठावान वह (व्यक्ति) अखण्ड भारत का स्म करेगा।। 33।।
।। भारत माता की जय ।।
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अधिक जनकरी के लिए 16 सिद्धि: आध्यात्मिक जीवन के रहस्य http://rss.org