महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसका जप अनेक धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान कर सकता है। यह मंत्र अग्नि विषाणु स्वरूप, शिव शंकर की प्रशंसा के लिए जाना जाता है और इसे “त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्” या “त्रयम्बकं तेत्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्” के रूप में जाना जाता है। यह मंत्र ऋग्वेद में उल्लेखित है और महामृत्युंजय मंत्र का जप करने के बहुत से लाभ होते हैं:

- दीर्घायु:
- महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप करने से व्यक्ति को दीर्घायु मिल सकती है। यह मंत्र जीवन को रोग मुक्त रखने में मदद कर सकता है।
- रोग नाश:
- इस मंत्र का जप रोगों के नाश में सहायक हो सकता है और व्यक्ति को स्वस्थ रख सकता है।
- मानसिक शांति:
- महामृत्युंजय मंत्र का जप मानसिक शांति और आत्मा के संयम में मदद कर सकता है। यह मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है।
- सुरक्षा और रक्षा:
- इस मंत्र का जप व्यक्ति को भय, दुर्भिक्ष, और आपत्तियों से सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
- धार्मिक उन्नति:
- महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति हो सकती है और उसका धार्मिक दृष्टिकोण मजबूत हो सकता है।
- परिवार में शांति:
- इस मंत्र का प्रतिदिन जप करने से परिवार में सौहार्द और शांति बनी रह सकती है।
- कार्यों में सफलता:
- महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से व्यक्ति के कार्यों में सफलता मिल सकती है और उसका मार्ग सुधर सकता है।
- कर्मिक शुद्धि:
- यह मंत्र कर्मिक शुद्धि में मदद कर सकता है और व्यक्ति को सच्चे कर्म करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
- अस्तित्व की महत्ता:
- महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से व्यक्ति अपने अस्तित्व की महत्ता समझ सकता है और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद कर सकता है।
यह ध्यान दें कि मंत्रों का उच्चारण और जप करने का तरीका नियमित प्रशिक्षित गुरु द्वारा सीखा जाना चाहिए। व्यक्ति को शांति, समृद्धि, और उद्दीपन के लिए ध्यान और भक्ति के साथ महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप करना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र पढ़ने से होते हैं, ये 5 बड़े चमत्कारी फायदे.. महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला खास मंत्र है। ये मंत्र ऋग्वेद और यजुर्वेद में भगवान शिव की स्तुती में लिखा है। रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जप करना चाहिए। जिससे हर तरह की परेशानी और रोग खत्म हो जाते हैं। वहीं अकाल मृत्यु (असमय मौत) का डर भी दूर होता है। शिवपुराण के अनुसार, इस मंत्र के जप से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां खत्म हो जाती हैं। महामृत्युंजय मंत्र से होता है दोषों का नाश महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष, रोग, दुःस्वप्न, गर्भनाश, संतानबाधा कई दोषों का नाश होता है।
महामृत्युजंय मंत्र का जप करने से शुभ फल
1. दीर्घायु (लम्बी उम्र) – जिस भी मनुष्य को लंबी उम्र पाने की इच्छा हो, उसे नियमित रूप से महामृत्युजंय मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य का अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। यह मंत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है, इसका का जप करने वाले को लंबी उम्र मिलती है।
2. आरोग्य प्राप्ति – यह मंत्र मनुष्य न सिर्फ निर्भय बनता है बल्कि उसकी बीमारियों का भी नाश करता है। भगवान शिव को मृत्यु का देवता भी कहा जाता है। इस मंत्र के जप से रोगों का नाश होता है और मनुष्य निरोगी बनता है।
3. सम्पत्ति की प्राप्ति – जिस भी व्यक्ति को धन-सम्पत्ति पाने की इच्छा हो, उसे महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना चाहिए। इस मंत्र के पाठ से भगवान शिव हमेशा प्रसन्न रहते हैं और मनुष्य को कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
4. यश (सम्मान) की प्राप्ति – इस मंत्र का जप करने से मनुष्य को समाज में उच्च स्थान प्राप्त होता है। सम्मान की चाह रखने वाले मनुष्य को प्रतिदिन महामृत्युजंय मंत्र का जप करना चाहिए
5. संतान की प्राप्ति – महामृत्युजंय मंत्र का जप करने से भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है और हर मनोकामना पूरी होती है। इस मंत्र का रोज जाप करने पर संतान की प्राप्ति होती है।
महामृत्युंजय मंत्र जप में जरूरी है
~~ कुछ सावधानियां~~~ महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है, लेकिन इस मंत्र के जप में कुछ सावधानियां रखना चाहिए जिससे कि इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके और किसी भी प्रकार के अनिष्ट की संभावना न रहे। अतः जप से पूर्व निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1. जो भी मंत्र जपना हो उसका जप उच्चारण की शुद्धता से करें।
2. एक निश्चित संख्या में जप करें। पूर्व दिवस में जपे गए मंत्रों से, आगामी दिनों में कम मंत्रों का जप न करें। यदि चाहें तो अधिक जप सकते हैं।
3. मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में जप करें।
4. जप काल में धूप-दीप जलते रहना चाहिए।
5. रुद्राक्ष की माला पर ही जप करें।
6. माला को गौमुखी में रखें। जब तक जप की संख्या पूर्ण न हो, माला को गौमुखी से बाहर न निकालें।
7. जप काल में शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र पास में रखना अनिवार्य है।
8. महामृत्युंजय के सभी जप कुशा के आसन के ऊपर बैठकर करें।
9. जप काल में दुग्ध मिले जल से शिवजी का अभिषेक करते रहें या शिवलिंग पर चढ़ाते रहें।
10. महामृत्युंजय मंत्र के सभी प्रयोग पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही करें।
11. जिस स्थान पर जपादि का शुभारंभ हो, वहीं पर आगामी दिनों में भी जप करना चाहिए।
12. जपकाल में ध्यान पूरी तरह मंत्र में ही रहना चाहिए, मन को इधर-उधर न भटकाएं।
13. जपकाल में आलस्य व उबासी को न आने दें।
14. मिथ्या बातें न करें।
5. जपकाल में स्त्री सेवन न करें
16. जपकाल में मांसाहार त्याग दें।
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