एकलगीत
जय जय जय हे भगवा ध्वज हे जय हे राष्ट्र निशान।
राष्ट्र चेतना की अंगड़ाई। क्रांतिकारियों की तरुणाई। तुझमें कोटि-कोटि वीरों के प्रतिबिम्बित बलिदान। जय हे राष्ट्र निशान।
मूर्त शक्ति तू मूर्त त्याग तू। विश्व विजय का अमर राग तू। तुझमें लक्षावधि प्राणों के सुरभित है बलिदान । जय हे राष्ट्र निशाना
दिशि -दिशि में अवनी अम्बर पर अपनी दिव्याभा प्रसरित कर। धर्म प्राण तू धर्म संस्कृति का करता आह्वान जय हे राष्ट्र निशान।
यज्ञ -ज्वाल में जलते मन सा तप-तप कर निखरा कंचन सा तुझ पर अगणित बार निछावर सारा हिन्दुस्तान ॥ जय हे राष्ट्र निशान॥
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